DRDO इंजीनियर निशांत अग्रवाल फेसबुक पर ‘नेहा’ और ‘पूजा’ नाम के फर्जी एकाउंट के जरिए पाकिस्‍तान को देता था ‘ब्रह्मोस’ मिसाइल की जानकारी

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पाकिस्तान को ब्रह्मोस मिसाइल संबंधी जानकारी लीक करने के आरोप में सोमवार (8 अक्टूबर) को गिरफ्तार किए गए ब्रह्मोस मिसाइल इंजीनियर निशांत अग्रवाल को लेकर हर रोज नए-नए खुलासे हो रहे हैं। उत्तर प्रदेश एन्टी-टेरर स्क्वाड (ATS) का कहना है कि जासूसी के आरोप में गिरफ्तार ब्रह्मोस इंजीनियर निशांत अग्रवाल फेसबुक पर ‘नेहा शर्मा’ और ‘पूजा रंजन’ नाम से चल रहे दो फर्जी एकाउंट के जरिए पाकिस्तान के संदिग्ध खुफिया सदस्यों से संपर्क में था।

(Source: Facebook)

उत्तर प्रदेश पुलिस के आतंकवाद रोधी दस्ते (एटीएस) ने मंगलवार को नागपुर में जूनियर मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी एस एम जोशी की अदालत में अग्रवाल को विस्तृत पूछताछ के लिए लखनऊ ले जाने के लिए उसकी ट्रांजिट रिमांड की मांग करते हुए यह बात कही। महाराष्ट्र एटीएस की ओर से पेश अतिरिक्त लोक अभियोजक एस जे बागडे ने कहा कि अदालत ने उप्र एटीएस के लिए तीन दिन की ट्रांजिट रिमांड मंजूर की।

आपको बता दें कि निशांत पर सुरक्षा से जुड़ी जानकारियों को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI को देने का आरोप है। बताया जा रहा है कि ये कर्मचारी भारत की अति महत्वपूर्ण ब्रह्मोस से जुड़ी जानकारी पाकिस्तान और अमेरिका को दे रहा था। उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र पुलिस की एटीएस इकाइयों ने संयुक्त कार्रवाई में सोमवार को अग्रवाल को ब्रह्मोस के वर्धा रोड केन्द्र से पाकिस्तान को ‘तकनीकी सूचनाएं’ कथित रूप से लीक करने पर गिरफ्तार किया था।

‘ब्रह्मोस ऐरोस्पेस’ भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) और रूस के ‘मिलिटरी इंडस्ट्रियल कनसोर्टियम’ का संयुक्त उपक्रम है। समाचार एजेंसी भाषा के मुताबिक, उप्र एटीएस के जांच अधिकारी ने अदालत से कहा कि अग्रवाल फेसबुक पर दो नामों ‘नेहा शर्मा’ और ‘पूजा रंजन’ से संचालित एकाउंट से संपर्क में था। एटीएस अधिकारी ने कहा कि ये एकाउंट इस्लामाबाद से चलाए जा रहे हैं और माना जा रहा है कि इन्हें पाकिस्तान के खुफिया सदस्य संचालित कर रहे हैं।

अधिकारी ने अदालत को बताया कि इस तरह के फर्जी खाते भारत में वरिष्ठ अधिकारियों से संपर्क साधने के लिए कथित रूप से इस्तेमाल किये जाते हैं। अधिकारी ने कहा कि ‘बहुत संवेदनशील काम’ में लगे होने के बावजूद अग्रवाल इंटरनेट पर ‘लापरवाह’ था और उसने स्वयं को एक ‘आसान निशाना’ बना लिया। उन्होंने कहा कि अग्रवाल ‘लिंक्डइन’ पर भी सक्रिय था। अधिकारी ने कहा कि आरोपी के निजी लैपटॉप पर बहुत गोपनीय सूचना मौजूद थी।

उन्होंने कहा कि आरोपी के निजी लैपटॉप में पीडीएफ फॉरमेट में विशेष फाइलें मिली हैं। जांच अधिकारी ने कहा, ‘ये सब शीर्ष गोपनीय सूचनाएं हैं जिन्हें अगर साझा किया जाए तो यह देश के लिए खतरा हो सकता है। हम विस्तृत पूछताछ करके उन्हें लखनऊ की विशेष अदालत में पेश करना चाहते हैं और इसलिए तीन दिन के ट्रांजिट रिमांड का आग्रह किया जाता है।’ आरोपी पर शासकीय गोपनीय अधिनियम, भारतीय दंड संहिता और सूचना प्रौद्योगिकी कानून की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है।

निशांत अग्रवाल के पिता प्रदीप अग्रवाल ने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि उनका बेटा दोषी है और उनका न्यायपालिका में पूरा भरोसा है। बेटे के गिरफ्तारी पर प्रदीप ने कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि वह दोषी है। लेकिन अगर वह दोषी है और व्यवस्था साबित करती है तो वह दोषी है तो हां, वह दोषी है।’

उत्तर प्रदेश के लखनऊ में एटीएस सूत्रों ने सोमवार को कहा था कि नागपुर स्थित उसके आवास से एक कम्प्यूटर जब्त किया गया है जिससे गोपनीय दस्तावेज मौजूद हैं। सूत्रों ने कहा कि अग्रवाल के रूड़की स्थित आवास से एक पुराना कम्प्यूटर भी जब्त किया गया है और इसकी सामग्री की जांच की जा रही है।

ब्रह्मोस मिसाइल से जुड़ी जानकारी पाकिस्तानी एजेंसियों को मुहैया करवाने का आरोप

समाचार एजेंसी भाषा के मुताबिक, निशांत पिछले चार साल से डीआरडीओ में काम कर रहा था। उस पर आरोप है कि उसने पर ब्रह्मोस मिसाइल से जुड़ी जानकारी और तकनीकी डेटा अमेरिकी और पाकिस्तानी एजेंसियों को मुहैया करवाई है। उसे ऑफिशियल सीक्रेट एक्ट की धाराओं के तहत गिरफ्तार किया गया है।

ब्रह्मोस एयरोस्पेस का गठन भारत के डीआरडीओ और रूस के ‘मिलिट्री इन्डस्ट्रीयल कंसोर्टियम’ (एनपीओ मशिनोस्त्रोयेनिया) के बीच जॉइंट वेंचर के तौर पर हुआ है। भारत और रूस के बीच 12 फरवरी, 1998 को हुए एक इंटर-गवर्मेंटल समझौते के तहत यह कंपनी स्थापित की गई थी। इस यूनिट में ब्रह्मोस मिसाइल के निर्माण का काम होता है।

सूत्रों ने बताया कि इस पर यूपी एटीएस ने अदालत से ‘सर्च वारंट’ लेकर महाराष्ट्र एटीएस के साथ मिलकर निशांत के घर पर तलाशी ली। इस दौरान उसके व्यक्तिगत कंप्यूटर पर गोपनीय और अतिसंवेदनशील दस्तावेज मिले। सूत्रों ने बताया कि यह शासकीय गोपनीयता अधिनियम के तहत अपराध है, जिसके लिए निशांत को गिरफ्तार किया गया। एटीएस ने निशांत के कार्यालय की भी तलाशी ली है और सबूत इकट्ठा किए हैं।

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