दिल्ली MCD चुनाव में हार के बाद भीतरी कलह से जूझ रही आम आदमी पार्टी के लिए रविवार(30 अप्रैल) को बड़ी राहत की खबर आई है। चुनाव आयोग ने दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के खिलाफ दायर की गई एक याचिका को खारिज कर दिया है। दरअसल, भारतीय जनता पार्टी से जुड़े एक वकील द्वारा सिसोदिया के खिलाफ लाभ के पद का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया गया था।
चुनाव आयोग का कहना है कि सिसोदिया द्वारा कथित तौर पर लाभ का पद रखने के चलते उन्हें विधायक पद के लिए अयोग्य करार देने की मांग वाली याचिका में कोई दम नहीं है। बता दें कि राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को भेजी गई एक सिफारिश में आयोग ने कहा कि उपमुख्यमंत्री होने के कारण सिसोदिया को विधायक पद के लिए अयोग्य करार नहीं दिया जा सकता।
आयोग ने कहा कि कई राज्यों में उप मुख्यमंत्री के पद हैं और इसे लाभ का पद नहीं माना जा सकता। आयोग के एक अधिकारी ने कहा कि ‘उन्हें इस आधार पर अयोग्य करार नहीं दिया जा सकता। राष्ट्रपति को सिफारिश भेज दी गई है।’ एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर राष्ट्रपति को कोई ‘अधिकार नहीं’ है और वह चुनाव आयोग की सिफारिश से ‘बंधे’ हैं।
गत वर्ष बीजेपी के नेता विवेक गर्ग ने सिसोदिया को अयोग्य करार देने की मांग करने वाली याचिका के साथ राष्ट्रपति से संपर्क किया था। तय प्रक्रिया के अनुसार, मामला आयोग को भेज दिया गया था। बता दें कि आयोग पहले से ही आम आदमी पार्टी के विधायकों द्वारा लाभ के पद रखने से जुड़े दो अलग-अलग मामलों की सुनवाई कर रहा है।
आयोग द्वारा सुनी जाने वाली पहली शिकायत 21 आम आदमी पार्टी विधायकों को अयोग्य घोषित करने के बारे में है, जो अंतिम चरण में है। जिन्हें दिल्ली सरकार के विभिन्न मंत्रियों की सहायता के लिए संसदीय सचिवों के रूप में असंवैधानिक रूप से नियुक्त किया गया है।
जबकि दूसरी याचिका में दिल्ली के विभिन्न सरकारी अस्पतालों में मरीज कल्याण समितियों के अध्यक्षों के रूप में कथित लाभ का पद लेने के लिए 27 विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने की मांग की गई है, जो अभी प्रारंभिक चरण में है।