प्रधानमंत्री मोदी की कालेधन से निजात दिलाने वाली योजना नोटबंदी को आज पूरा एक साल हो गया है। सरकार ने अपनी सारी ताकत नोटबंदी से हुए फायदे बताने पर लगा दी है। लेकिन सोशल मीडिया पर लोग आसान से तीन सवालों का जवाब मांग रहे है। पीएम मोदी ने नोटबंदी को लागू करने से पहले तीन बाते इस तर्क में पेश की थी कि इस नोटबंदी के कारण वह कालाधन समाप्त कर देगें। दूसरा वह आतंकवाद की कमर तोड़ देगें और तीसरे जाली करेंसी को समाप्त कर देगें।
एक साल पूरा होने पर देश इन तीनों मुद्दों पर पूरी तरह से नाकाम साबित हुआ है। बाद के दिनों में यह बात भी पूरी तरह से स्पष्ट हो चली की यह फैसला उनका अपना निजी था किसी बड़ी आर्थिक समीक्षा के बगैर ही उन्होंने इस कदम को उठाया।
मोदी सरकार ने नोटबंदी के असफल होने को मानने से पूरी तरह से इंकार कर दिया था जिसके बाद सरकार ने एक साल में अलग-अलग तर्क इस पर रखें। सरकार की तरफ से प्रचारित किया गया कि वह तो इसके पीछे डिजिटल लेन-देन को बढ़ावा देने के लिए काम कर रही थी जबकि सब जानते है कि देश का एक बड़ा हिस्सा अभी तक बुनियादी सुविधाओं से भी वंचित है बिजली, साफ पानी, रोजगार जैसी विकराल समस्याए हमें मुंह चिढ़ाती रहती है और प्रधानमंत्री डिजिटल लेन-देन को प्रचारित करने में मग्न दिखें।
नोटबंदी के बाद मोदी सरकार ने जिस तरह से जीएसटी को लागू किया वो जल्दबाजी भी सबको दिखाई दी। प्रधानमंत्री मोदी और उनके सारे तंत्र ने सरकार के पिछले तीन सालों को केवल अपने गलत कामों को सही ठहराने में ही गुजार दिए। ज़मीनी तौर पर बढ़े बदलाव कहीं दिखाई नहीं दिए पीएम मोदी का स्वच्छ भारत एक जबरदस्त ढोंग दिखाई दिया जिसमें नेताओं से लेकर सरकारी अफसर सभी झाड़ू की तस्वीर लिए अखबारों में दिखाई दिए जबकि गन्दगी हर गली-मौहल्ले की शोभा बढ़ाती रहीं।
सोशल मीडिया पर नोटबंदी को एक साल पूरा होने पर लोगों ने अपने अनुभवों को साझा किया किसी ने बताया कि प्रधानमंत्री के ऐलान के बाद जैसे ही वो एटीएम पहंुचा तो वहां से 10 हजार रूपये निकालने पर पुराने नोट निकले जो सरकार की तरफ से मिला उसे बड़ा धोखा था। ऐसे ही लोगों ने बहुत सारे विचार सोशल मीडिया पर शेयर किए।
वह नोटबंदी नहीं अहंकार संतुष्टि थी जिसमें 150 लोगों की बलि ली गई। #BJPMoneyLaunderingDay
— Lalu Prasad Yadav (@laluprasadrjd) November 8, 2017
अर्थव्यवस्था की बदहाली, कारोबार-उद्योग की बर्बादी व देशव्यापी बेरोज़गारी में नोटबंदी का जश्न दुखद है. ये नोटबंदी का एक बरस नहीं बरसी है.
— Hardik Patel (@HardikPatel_) November 8, 2017
.दो करोड़ नौकरियां देने का वादा करने वाली मोदी सरकार ने नोटबंदी से लाखों देशवासियों का रोजगार छीन लिया फिर भी जश्न!
#BJPMoneyLaunderingDay— Harish Rawat (@harishrawatcmuk) November 8, 2017
नोटबंदी में केवल ग़रीब क्यों क़तार में मरा..? कोई बडा उद्योगपति या सांसद/मंत्री क़तार में नोट बदलते क्यों नही दिखा..? अमीरों के नोट कहाँ बदले गये..?
— Jitu Patwari (@jitupatwari) November 8, 2017
सरकार नोटबंदी की "साल गिरह" मना रही है, और पूरा देश व्यापार की "पुण्यतिथि" मना रहा है.
— Acharya Pramod (@AcharyaPramodk) November 7, 2017
https://twitter.com/DubeyAbhay_/status/927968343310528512
कुछ चुनिंदा लोग #नोटबंदी एक त्रासदी की बरसी पर जश्न मना सकते हैं पर उन नौजवानों से पूछो जिनके रोजगार छिन गए, जिनके खेतों में फसलें नहीं उगी।
— Sunil Singh Yadav (@sunilyadv_unnao) November 8, 2017
लोग मरते रहे, परिवार तबाह होते रहे, घर उजड़ते रहे, और वो नोटबंदी के दंभ में हँसता रहा। #DhokhaDiwas
— ashutosh (@ashutosh83B) November 8, 2017