पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के पूर्व सांसद मिलिंद देवड़ा ने दिल्ली में पिछले पांच साल में राजस्व दोगुना होने को लेकर अरविंद केजरीवाल सरकार की तारीफ की जिसके बाद अजय माकन सहित दिल्ली कांग्रेस के कई नेताओं ने उन्हें आड़े हाथ लेते हुए कहा कि अगर देवरा कांग्रेस से अलग होना चाहते हैं तो उन्हें आधे-अधूरे तथ्यों का प्रसार करने की बजाय पार्टी छोड़ देनी चाहिए।
दरअसल, कांग्रेस नेता मिलिंद देवड़ा ने रविवार रात केजरीवाल के एक भाषण का संक्षिप्त वीडियो शेयर करते हुए ट्वीट किया, ”एक ऐसी जानकारी साझा कर रहा हूं जिससे कम लोग अवगत हैं। अरविंद केजरीवाल सरकार ने पिछले पांच साल में राजस्व को दोगुना कर दिया है और अब ये 60 हजार करोड़ तक पहुंच गया है। दिल्ली अब भारत का आर्थिक रूप से सबसे सक्षम राज्य बन रहा है।” मिलिंद देवरा के इस ट्वीट को आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी रिट्वीट किया है।
Sharing a lesser known & welcome fact — the @ArvindKejriwal-led Delhi Government doubled its revenues to ₹60,000 crore & maintained a revenue surplus over the last 5 years.
Food for thought: Delhi is now one of India’s most fiscally prudent governments pic.twitter.com/bBFjbfYhoC
— Milind Deora मिलिंद देवरा (@milinddeora) February 16, 2020
देवरा के ट्वीट पर दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष अजय माकन ने कड़ी आपत्ति जताई और कुछ आंकड़े रखते हुए कहा कि, ”भाई, अगर आपको कांग्रेस पार्टी छोड़नी है, तो छोड़ सकते हैं। इसके बाद आप आधा-अधूरे तथ्यों का प्रचार करें।”
माकन के हमले पर पलटवार करते हुए मिलिंद देवड़ा ने एक अन्य ट्वीट में कहा, ‘‘भाई, मैं मुख्यमंत्री के तौर पर शीला दीक्षित के शानदार प्रदर्शन को कभी कमतर नहीं करूंगा। ऐसा करने में आपकी विशेषज्ञता है। लेकिन बदलाव लाने में कभी देर नहीं होती। आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन की पैरवी करने की बजाय अगर आप शीला जी की उपलब्धियों का उल्लेख करते तो आज कांग्रेस सत्ता में होती।’’
Brother, I would never undermine Sheila Dikshit’s stellar performance as Delhi CM. That’s your specialty.
But it’s never too late to change!
Instead of advocating an alliance with AAP, if only you had highlighted Sheila ji’s achievements, @INCIndia would’ve been in power today https://t.co/aiZYdizdUL
— Milind Deora मिलिंद देवरा (@milinddeora) February 17, 2020
वहीं, पूर्व विधायक अलका लांबा ने भी देवरा पर निशाना साधते हुए कहा, ”पहले पिता जी के नाम से पार्टी में आओ, फिर बैठे बैठे टिकट पाओ, कांग्रेस की लहर में पहली बार में ही केंद्रीय मंत्री भी बन जाओ। जब अपने अपने दम पर लड़ने की बात आए तो हार जाओ, पार्टी में पद की लड़ाई लड़ो, फिर पार्टी को गलियाते हुए, दूसरों के गुणगान में गिटार हाथ में लेकर बजाते रहो।”
पहले पिता जी के नाम से पार्टी में आओ,
फिर बैठे बैठे टिकेट पाओ,कांग्रेस की लहर में पहली बार में ही केंद्रीय मंत्री भी बन जाओ,
जब अपने अपने दम पर लड़ने की बात आए तो हार जाओ,पार्टी में पद की लड़ाई लड़ो,
फिर पार्टी को गलियाते हूए,
दूसरों के गुणगान में गिटार हाथ में लेकर बजाते रहो..?— Alka Lamba – अलका लाम्बा?? (@LambaAlka) February 17, 2020
दिल्ली विधानसभा चुनाव में जनकपुरी से कांग्रेस की उम्मीदवार रहीं, पाटी की राष्ट्रीय मीडिया पैनलिस्ट राधिका खेड़ा ने कहा, ‘‘पहली बार चुनावी मैदान में उतरी एक युवा नेता के तौर पर मुझे उस वक्त बहुत निराशा होती है जब हमारे वरिष्ठ नेता अपनी पार्टी को बेहतर करने के लिए प्रोत्साहित करने की बजाय आम आदमी पार्टी की पीठ थपथपाते हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘दिल्ली में 1994 से राजस्व का सरप्लस रहा और शीला जी के समय यह अपने चरम पर था।’’
As a young first time contestant I find this extremely disappointing from our senior leaders, who instead of encouraging our own party to do better are busy patting AAP’s back!
Food for thought: Delhi has run a surplus since 1994, this peaked in 2011 under Sheila Ji. https://t.co/v1qp2vzTeq
— Radhika Khera (@Radhika_Khera) February 16, 2020
बता दें कि, दिल्ली में एक बार फिर से आम आदमी पार्टी (आप) को प्रचंड बहुमत मिला है। विधानसभा चुनाव में 70 में से 62 सीटों पर जीत हासिल कर अरविंद केजरीवाल ने रविवार (16 फरवरी) को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। केजरीवाल तीसरी बार दिल्ली के मुख्यमंत्री बने हैं। केजरीवाल का पहला कार्यकाल 49 दिनों तक चला जबकि दूसरा कार्यकाल पूरे 5 वर्ष का रहा।
गौरतलब है कि, दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजों में आम आदमी पार्टी को जबरदस्त जीत हासिल हुई थी। दिल्ली की 70 सीटों में से उसने 62 पर अपना कब्जा जमाया है। जबकि पूरी ताकत झोंकने के बावजूद भाजपा को महज 8 सीटों पर संतोष करना पड़ा। कांग्रेस एक बार फिर शून्य पर आउट हो गई। कांग्रेस का कोई उम्मीदवार चुनाव नहीं जीत सका। इसके साथ ही कांग्रेस को मिलने वाले वोटों के प्रतिशत में भी भारी कमी दर्ज की गई है। (इंपुट: भाषा के साथ)