दो साल में तीन मामलों में बरी होने के बाद असीमानंद अब आजाद है। समझौता एक्सप्रेस ट्रेन मामले में असीमानंद के साथ तीन अन्य लोगों लोकेश शर्मा, कमल चौहान और राजिन्दर चौधरी को पंचकूला की एक विशेष अदालत ने सबूत के अभाव में बरी कर दिया गया। असीमानंद और तीन अन्य आरोपियों को बरी करने वाली एक विशेष अदालत ने कहा कि विश्वसनीय और स्वीकार्य साक्ष्य के अभाव की वजह से, हिंसा के इस नृशंस कृत्य में किसी गुनहगार को सजा नहीं मिल पाई। इस मामले में चारों आरोपियों- स्वामी असीमानंद, लोकेश शर्मा, कमल चौहान और राजिंदर चौधरी को अदालत ने 20 मार्च को बरी कर दिया था।
समझौता ब्लास्ट मामले में पंचकुला कोर्ट द्वारा सभी आरोपियों को बरी किए जाने के बाद भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने शुक्रवार (29 मार्च) को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कांग्रेस पर निशाना साधा है। बीजेपी ने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने ‘हिंदू आतंकवाद’ के नाम पर एक साजिश रची। पार्टी ने आरोप लगाया कि कांग्रेस हिंदुओं को आतंकी मान रही थी। समझौता ब्लास्ट मामले में पंचकुला कोर्ट द्वारा सभी आरोपियों को बरी किए जाने के बाद केंद्रीय वित्त मंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता अरुण जेटली ने ये बातें कही।
जेटली ने कहा कि हिंदुओं को आतंकवादी मानने वाले लोग अब इस धर्म के प्रति श्रद्धा दिखाने में लगे हुए हैं। उन्होंने कहा कि पूरे समाज को आतंकवादी बता देने को इस समाज के लोग सहन नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि आरोपियों को 10-10 साल तक जेलों में रखा गया जबकि जज ने स्पष्ट तौर पर कहा कि इस केस में कोई गवाह नहीं है। बीजेपी नेता ने कहा कि बिना किसी सबूत के हिंदू समाज को बदनाम करने के लिए हिंदू आतंकवाद की साजिश गढ़ी गई और गलत लोगों को पकड़ा गया।
बीजेपी के वरिष्ठ नेता ने कहा कि कांग्रेस ने ‘हिंदू आतंक’ गढ़ा और इस सिद्धांत को बनाने के लिए फर्जी सबूतों के आधार पर मामले दायर किए लेकिन अंत में अदालत को फैसला लेना पड़ा। इसके कारण, जो लोग हिंदुओं को आतंकवादी मानते थे, वे अब धर्म के प्रति अपनी भक्ति साबित करने की कोशिश कर रहे हैं।
A Jaitley: Congress coined 'Hindu terror'&filed cases based on fake evidence to create this theory but in the end court has to take decision.Perhaps because of this, those who considered Hindus as terrorists are now trying to prove their devotion towards religion. #SamjhautaBlast pic.twitter.com/9vdobNf1mX
— ANI (@ANI) March 29, 2019
आरोपियों को जमानत देने वाले जज ने क्या कहा?
समाचार एजेंसी पीटीआई/भाषा के मुताबिक, एनआईए अदालत के न्यायाधीश जगदीप सिंह ने अपने फैसले में कहा, “मुझे गहरे दर्द और पीड़ा के साथ फैसले का समापन करना पड़ रहा है, क्योंकि विश्वसनीय और स्वीकार्य साक्ष्यों के अभाव की वजह से हिंसा के इस नृशंस कृत्य में किसी को गुनहगार नहीं ठहराया जा सका। अभियोजन के साक्ष्यों में निरंतरता का अभाव था और आतंकवाद का मामला अनसुलझा रह गया।”
भारत और पाकिस्तान के बीच चलने वाली समझौता एक्सप्रेस में 18 फरवरी 2007 को हरियाणा के पानीपत के पास धमाका हुआ। उस वक्त रेलगाड़ी अटारी जा रही थी जो भारत की तरफ का आखिरी स्टेशन है। इस बम विस्फोट में 68 लोगों की मौत हो गई थी। न्यायाधीश ने कहा कि आतंकवाद का कोई महजब नहीं होता क्योंकि दुनिया में कोई भी मजहब हिंसा का संदेश नहीं देता।
उन्होंने 28 मार्च को सार्वजनिक किए गए विस्तृत फैसले में कहा है, “अदालत को लोकप्रिय या प्रभावी सार्वजनिक धारणा अथवा राजनीतिक भाषणों के तहत आगे नहीं बढ़ना चाहिए और अंतत: उसे मौजूदा साक्ष्यों को तवज्जो देते हुए प्रासंगिक वैधानिक प्रावधानों और इसके साथ तय कानूनों के आधार पर अंतिम निष्कर्ष पर पहुंचना चाहिए।” उन्होंने कहा, “चूंकि अदालती फैसले कानून के मुताबिक स्वीकार्य साक्ष्यों पर आधारित होते हैं, इसलिए ऐसे में यह दर्द और बढ़ जाता है जब नृशंस अपराध के साजिशकर्ताओं की पहचान नहीं होती और वे सजा नहीं पाते।” न्यायाधीश ने कहा कि, “संदेह चाहे कितना भी गहरा हो, साक्ष्य की जगह नहीं ले सकता।”
असीमानंद का तीन बम विस्फोटों में आ चुका है नाम
असीमानंद को एक समय भारत में सबसे अधिक वांछित व्यक्ति के रूप में जाना जाता था। वर्ष 2007 में भारत में हुए तीन बम विस्फोटों में कथित भूमिका के लिए उनका नाम सामने आया था। इसकी शुरुआत भारत और पाकिस्तान के बीच चलने वाली ट्रेन समझौता एक्सप्रेस में 17 और 18 फरवरी की दरम्यानी रात में विस्फोट की घटना से हुई जिसमें 68 लोग मारे गये थे। इसके बाद 18 मई को हैदराबाद की मक्का मस्जिद में हुए विस्फोट में नौ लोग मारे गये थे। इसी साल अक्टूबर में अजमेर की ख्वाजा चिश्ती दरगाह में हुए विस्फोट में तीन लोग मारे गये थे। करीब 67 वर्ष के असीमानंद इन तीनों आतंकवादी घटनाओं में बरी हो चुके हैं।