वित्त मंत्रालय के मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने निजी कारणों का हवाला देते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली को इस्तीफा भेजा था, जिसे स्वीकार कर लिया गया है। अरुण जेटली ने एक फेसबुक पोस्ट के जरिए बताया कि मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन पारिवारिक कारणों के चलते अमेरिका वापस गए और उनके पास उनसे सहमत होने के अलावा और कोई विकल्प नहीं था।

अरविंद सुब्रमण्यम के पद छोड़ने को लेकर कांग्रेस ने आज नरेंद्र मोदी सरकार पर हमला बोला और आरोप लगाया कि इस सरकार के ‘व्यापक आर्थिक कुप्रंधन’ के कारण वित्तीय विशेषज्ञ परेशान हैं और इसको देखते हुए सुब्रमण्यम का हटना हैरानी की बात नहीं है।
समाचार एजेंसी भाषा की रिपोर्ट के मुताबिक, कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने बुधवार(20 जून) को ट्वीट कर लिखा, ‘मोदी सरकार में व्यापक आर्थिक कुप्रबंधन, ढुलमुल आर्थिक सुधारों और वित्तीय अव्यवस्था के कारण वित्तीय विशेषज्ञ परेशान हैं।’ उन्होंने कहा, ‘नीति आयोग के उपाध्यक्ष पद से अरविंद पनगढ़िया और रिजर्व बैंक के गर्वनर पद से रघुराम राजन के हटने के बाद मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम का इस्तीफा हैरानी की बात नहीं है।’
'Financial Experts' of Modi Govt are completely fed up by its Colossal Economic Mismanagement, Tepid Economic Reforms & Financial Anarchy.
CEA, Arvind Subramanian's resignation after the stepping down of Niti Aayog's Arvind Panagriya & RBI Gov Raghuram Rajan comes as no suprise!
— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) June 20, 2018
सुब्रमण्यम वित्त मंत्रालय छोड़ रहे हैं और वह अपनी ‘पारिवारिक प्रतिबद्धताओं’ की वजह से अमेरिका लौट रहे हैं। केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने फेसबुक पोस्ट के जरिये यह जानकारी दी। फेसबुक पर एक पोस्ट के जरिए उन्होंने बताया कि अरविंद सुब्रमण्यन ने पारिवारिक कारणों से अमेरिका वापस जाने चाहते थे और उनके पास सुब्रमण्यन की बात स्वीकार करने के अलावा कोई उपाय नहीं था।
Posted by Arun Jaitley on Wednesday, June 20, 2018
बता दें कि अरविंद सुब्रमण्यन 16 अक्टूबर 2014 में केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के वित्त मंत्रालय के मुख्य आर्थिक सलाकार बनाए गए थे। तभी से वह अब तक भारत सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार के रूप में सेवा दे रहे थे। उनकी यह नियुक्ति तीन साल की थी। इस नाते उनका कार्यकाल अक्टूबर, 2017 तक का था। लेकिन केंद्र सरकार ने उन्हें एक साल का कार्यकाल विस्तार दे दिया। यानी उनका अक्टूबर, 2018 तक पद पर रहना पक्का हो गया।