कलीना सेंट्रल लाइब्रेरी कंस्ट्रक्शन केस में दाखिल चार्जशीट में एंटी करप्शन ब्यूरो ने जेल में बंद महाराष्ट्र के पूर्व डिप्टी सीएम छगन भुजबल पर ढाई करोड़ की रिश्वत को स्पाॅन्सरशिप की आड़ में लेने का खुलासा किया है। कंपनी और भुजबल के बीच एक दूसरे को फायदा पहुंचाने के मामले को स्थापित करने की कोशिश की गई है। चार्जशीट में लिखा है, ”बिल्डर की ओर से किया गया 2.5 करोड़ रुपए का पेमेंट और कुछ नहीं बल्कि स्पॉन्सरशिप की आड़ में बिल्डर को फायदा पहुंचाने के लिए छगन भुजबल को मिली घूस है।
जनसत्ता की खबर के अनुसार 30 जनवरी 2010 को छगन भुजबल पब्लिक वेल्फेयर फाउंडेशन ट्रस्ट की स्थापना हुई थी। इसके तीन दिन बाद, ट्रस्ट ने इंडियाबुल्स रीयलटेक लिमिटेड को चिट्ठी लिखकर नासिक फेस्टिवल के लिए एक करोड़ रुपए की स्पॉन्सरशिप मांगी। नासिक फेस्टिवल का आयोजन एनसीपी लीडर्स की तरफ से होता है।
सात दिन बाद इंडियाबुल्स रीयलटेक ने यह ‘डोनेशन’ ट्रस्ट के नासिक स्थित सारस्वत बैंक के खाते में जमा करवाए। इस कंपनी की पैरंट फर्म इंडियाबुल्स रीयल एस्टेट लिमिटेड को मुंबई के कलीना में सेंट्रल लाइब्रेरी बनाने का ठेका हासिल हुआ। जनवरी 2011 में इंडियाबुल्स रीयलटेक ने एक बार फिर उसी इवेंट को स्पॉन्सर किया।
कंपनी के डेढ़ करोड़ रुपए ‘डोनेट’ करने के नौ दिन बाद दस फरवरी को इंडियाबुल्स रीयल एस्टेट लिमिटेड को कलीना की जमीन की 99 साल की लीज मिल गई।
दाखिल चार्जशीट में एंटी करप्शन ब्यूरो के अनुसार कथित तौर कंपनी और भुजबल के बीच एक दूसरे को फायदा पहुंचाने के मामले को स्थापित करने की कोशिश की गई है।