इस साल होने होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने एक बड़ा फैसला किया है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, चुनावों से ठीक पहले सवर्णों के वोट बैंक को साधने के लिए मोदी कैबिनेट ने आर्थिक रूप से कमजोर गरीब सवर्णों (सामान्य वर्ग) के लिए सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में 10 फीसदी आरक्षण दिए जाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। सोमवार (7 जनवरी) को केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में इस प्रस्ताव को पास किया गया। शुरुआती जानकारी के अनुसार, इसके लिए संविधान में संशोधन के लिए संसद के चालू सत्र में बिल लाया जाएगा।
सूत्रों के अनुसार, संसद के शीतकालीन सत्र के आखिरी दिन (कल) सरकार संसद में बिल ला सकती है। सरकार की ओर से यह फैसला तब आया है जब लोकसभा चुनाव होने में महज कुछ ही महीनों का समय बचा है। इससे पहले दलित नेता और मंत्री रामदास अठावले ने पहले सवर्ण जातियों के लिए आरक्षण देने की वकालत की थी। उन्होंने कहा था कि सवर्ण जातियों को 25 फीसदी आरक्षण दिया जाना चाहिए।
मोदी सरकार के इस फैसले को इस साल अप्रैल-मई में होने वाले लोकसभा चुनाव से ठीक पहले नाराज चल रहे सवर्ण मतदाताओं को साधने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है। रिपोर्ट्स के मुताबिक यह मौजूदा 50 प्रतिशत आरक्षण की सीमा के ऊपर होगा। एक सूत्र ने बताया कि आरक्षण आर्थिक रूप से पिछड़े ऐसे गरीब लोगों को दिया जाएगा जिन्हें अभी आरक्षण का फायदा नहीं मिल रहा है।
क्या हैं आरक्षण की शर्तें?
मीडिया रिपोर्ट की मानें तो इस विधेयक में प्रावधान किया जा सकता है कि जिनकी सालाना आय 8 लाख रुपए से कम और जिनके पास पांच एकड़ से कम कृषि भूमि है, वे आरक्षण का लाभ ले सकते हैं। सूत्रों ने बताया कि ऐसे लोगों के पास नगर निकाय क्षेत्र में 1000 वर्ग फुट या इससे ज्यादा का फ्लैट नहीं होना चाहिए और गैर-अधिसूचित क्षेत्रों में 200 यार्ड से ज्यादा का फ्लैट नहीं होना चाहिए। जैसे-
- जिनकी सालाना आय 8 लाख से कम हो
- जिनके पास 1000 स्क्वायर फीट से कम का घर हो
- निगम की 109 गज से कम अधिसूचित जमीन हो
- जिनके पास 209 गज से कम की निगम की गैर-अधिसूचित जमीन हो
- जो अभी तक किसी भी तरह के आरक्षण के अंतर्गत नहीं आते थे
- जिन परिवारों के पास कृषि योग्य जमीन पांच एकड़ से कम हो
Criteria for economically backward section:
1) Annual income below 8 lakhs
2) Agricultural land below 5 hectare
3) Residential below 1000 sq ft
4) Residential plot below 109 yards in notified municipality.
5) Residential plot below 209 yards in non notified municipality area— Arvind Gunasekar (@arvindgunasekar) January 7, 2019
बता दें कि पिछले साल मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव से पहले सवर्ण आंदोलन ने काफी जोर पकड़ा था। इसका सबसे ज्यादा असर मध्यप्रदेश में देखा गया था। तीनों राज्यों में कांग्रेस को जीत मिली थी। अनुसूचित जाति-जनजाति संशोधन अधिनियम के खिलाफ सवर्ण संगठनों ने पिछले साल ‘भारत बंद’ भी रखा था। माना जा रहा है की सवर्णों की नाराजगी को देखते हुए मोदी सरकार ने ऐसा फैसला लिया है। ताकि आने वाले लोकसभा चुनाव में सवर्ण वोट बैंक को साधा जा सके।