असम में सोमवार (30 जुलाई) को बहुप्रतीक्षित नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स (एनआरसी) का दूसरा और आखिरी मसौदा जारी कर दिया गया। जिसके मुताबिक कुल 3.29 करोड़ आवेदन में से इस लिस्ट में 2.89 करोड़ लोगों को नागरिकता के योग्य पाया गया है, वहीं करीब 40 लाख (4,007,707) लोगों के नाम इससे बाहर रखे गए हैं। बता दें कि एनआरसी का पहला मसौदा 31 दिसंबर और एक जनवरी को जारी किया गया था। पहला मसौदा गत दिसंबर में जारी किया गया था। इसमें असम की 3.29 करोड़ आबादी में से केवल 1.90 करोड़ को ही भारत का वैध नागरिक माना गया था।

ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर 40 लाख लोगों का क्या होगा? राज्य सरकार का कहना है कि जिनके नाम रजिस्टर में नहीं है उन्हें अपना पक्ष रखने के लिए एक महीने का समय दिया जाएगा। दरअसल यह आखिरी लिस्ट नहीं है बल्कि मसौदा है। जिनका नाम इस मसौदे में शामिल नहीं है वो इसके लिए दावा कर सकते हैं। हालांकि इसके बावजूद इसको लेकर असम में तनाव है। असम एनआरसी का अंतिम मसौदे के आने के बाद से राजनीति भी शुरू हो गई है। संसद से लेकर सड़क तक विपक्षी दल और मोदी सरकार के बीच तकरार जारी है।
‘NRC से नाम हटने का मतलब मतदाता सूची से नाम कटना नहीं’
इस बीच चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) से नाम हटने का मतलब यह नहीं है कि मतदाता सूची से भी ये नाम हट जाएंगे। असम में हाल ही में जारी NRC से लगभग 40 लाख लोगों के नाम हटने के बाद मुख्य चुनाव आयुक्त ओ. पी. रावत ने बुधवार (1 अगस्त) को स्पष्ट किया कि एनआरसी से नाम हटने पर मतदाता सूची से स्वत: नाम कटने का अर्थ नहीं निकाला जाना चाहिए।
रावत ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया, ‘यह एनआरसी का मसौदा है। इसके बाद अगले एक महीने में इन सभी 40 लाख लोगों को उनका नाम शामिल नहीं किए जाने का कारण बताया जाएगा।’ उन्होंने कहा कि इसके बाद जिन लोगों के नाम एनआरसी से हटाए गए हैं, वे इस पर ट्राइब्यूनल में अपनी आपत्ति और दावे दायर कर सकेंगे। इनके निस्तारण के बाद एनआरसी का अंतिम मसौदा जारी किया जाएगा। बता दें कि 40 लाख लोगों के नाम कटने के बाद राज्य की मतदाता सूची में इनके नाम हटने की आशंकाओं के मद्देनजर रावत ने यह स्पष्टीकरण दिया है।
चुनाव अधिकारी देंगे रिपोर्ट
मुख्य चुनाव आयुक्त रावत ने स्पष्ट किया कि असम के मुख्य निर्वाचन अधिकारी अगले सप्ताह एनआरसी के अंतिम मसौदे के प्रकाशन के विभिन्न पहलुओं पर अपनी तथ्यात्मक रिपोर्ट देंगे। उन्होंने कहा कि एनआरसी से नाम हटने का अर्थ यह नहीं है कि असम की मतदाता सूची से भी स्वत: नाम हट जाएंगे, क्योंकि जनप्रतिनिधित्व कानून 1950 के तहत मतदाता के पंजीकरण के लिए जरूरी 3 अनिवार्यताओं में आवेदक का भारत का नागरिक होना, न्यूनतम आयु 18 साल होना और संबद्ध विधानसभा क्षेत्र का निवासी होना शामिल है।
ऐसे लोगों को मतदाता सूची में अपना पंजीकरण कराने के लिए मतदाता पंजीकरण अधिकारी के समक्ष दस्तावेजी सबूतों के आधार पर यह साबित करना होगा कि वह भारत का नागरिक है। साथ ही उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि मतदाता सूची और एनआरसी बनाने का काम अलग-अलग है, लेकिन अधिकारी इस दिशा में मिलकर काम कर रहे हैं।
रावत ने कहा कि चुनाव आयोग की मुहिम का मकसद है कि कोई मतदाता छूट न जाए। इसके मद्देनजर असम के मुख्य निर्वाचन अधिकारी से एनआरसी संयोजक के साथ करीबी तालमेल बनाकर 2019 के लिए मतदाता सूचियों की समीक्षा करने को कहा गया है। इसके आधार पर अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए 4 जनवरी 2019 को मतदाता सूची का अंतिम मसौदा जारी किया जा सके।
बता दें कि एनआरसी की सूची में उन सभी भारतीय नागरिकों के नाम-पते और तस्वीरें हैं, जो 25 मार्च 1971 से पहले से असम में रह रहे हैं। साथ ही राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर जारी करने वाला असम देश का पहला राज्य बन गया है। भारत के रजिस्ट्रार जनरल शैलेष ने बताया कि असम में वैध नागरिकता के लिए 3 करोड़ 29 लाख 91 हजार 384 लोगों ने आवेदन किया था। इनमें से 2 करोड़ 89 लाख 83 हजार 677 लोगों के पास ही नागरिकता के वैध दस्तावेज मिले।