देश जलियांवाला बाग में ब्रिटिश बलों द्वारा सैकड़ों निर्दोष भारतीयों के नरसंहार की आज (13 अप्रैल) 100वीं बरसी मना रहा है। इस मौके पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी सहित विभिन्न नेताओं ने शनिवार को शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की। वहीं, भारत में स्थित ब्रिटिश उच्चायुक्त ने इस नरसंहार को ‘शर्मनाक कृत्य’ बताया है।
राष्ट्रपति कोविंद ने शनिवार को ट्विटर पर लिखा, “100 वर्ष पहले आज ही के दिन, हमारे प्यारे स्वाधीनता सेनानी जलियांवाला बाग में शहीद हुए थे। वह भीषण नरसंहार सभ्यता पर कलंक है। बलिदान का वह दिन भारत कभी नहीं भूल सकता। उनकी पावन स्मृति में जलियांवाला बाग के अमर बलिदानियों को हमारी श्रद्धांजलि।”
A 100 years ago today, our beloved freedom fighters were martyred at Jallianwala Bagh. A horrific massacre, a stain on civilisation, that day of sacrifice can never be forgotten by India. At this solemn moment, we pay our tribute to the immortals of Jallianwala #PresidentKovind pic.twitter.com/tNt0v5aFWv
— President of India (@rashtrapatibhvn) April 13, 2019
वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ट्वीट किया, “आज, भयावह जलियांवाला बाग नरसंहार के 100 वर्ष पूरे हो गए। देश उस दिन शहीद हुए सभी लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित करता है। उनकी वीरता और बलिदान को कभी भुलाया नहीं जा सकेगा। उनकी स्मृति हमें ऐसे भारत के निर्माण के लिए और अधिक मेहनत करने की प्रेरणा देती है जिस पर उन्हें गर्व हो।”
Today, when we observe 100 years of the horrific Jallianwala Bagh massacre, India pays tributes to all those martyred on that fateful day. Their valour and sacrifice will never be forgotten. Their memory inspires us to work even harder to build an India they would be proud of. pic.twitter.com/jBwZoSm41H
— Chowkidar Narendra Modi (@narendramodi) April 13, 2019
उधर, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने पंजाब में अमृतसर के जलियांवाला बाग स्थित शहीद स्मारक पर पहुंचकर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की। इस दौरान राहुल गांधी के साथ पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह तथा पंजाब सरकार में मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू भी मौजूद थे।
Today is the centenary of the brutal Jallianwalla Bagh massacre, a day of infamy that stunned the entire world and changed the course of the Indian freedom struggle.
The cost of our freedom must never be forgotten.
#JallianwalaBaghCentenary pic.twitter.com/f13691imZd
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) April 13, 2019
ब्रिटिश उच्चायुक्त ने बताया ‘शर्मनाक कृत्य’
वहीं, जलियांवाला बाग हत्याकांड की 100वीं बरसी पर भारत में स्थित ब्रिटिश उच्चायुक्त सर डोमिनिक ऐस्क्विथ ने शहीदों को नमन किया और घटना पर दुख व्यक्त किया। एस्क्विथ ने अमृतसर में जलियांवाला बाग नरसंहार की 100वीं बरसी पर जलियांवाला बाग स्मारक पर पुष्प चक्र अर्पित किया और कहा कि ब्रिटेन एक शताब्दी पूर्व हुई इस घटना पर गहरा खेद व्यक्त करता है। साथ ही ब्रिटिश उच्चायुक्त ने इस हत्याकांड को ‘शर्मनाक कृत्य’ करार दिया है।
एस्क्विथ सुबह के समय जलियांवाला बाग पहुंचे और 13 अप्रैल 1919 को हुई घटना में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने ऐतिहासिक जलियांवाला बाग में स्मारक पर पुष्प चक्र अर्पित किया। उन्होंने स्मारक पर आगंतुक पुस्तिका में लिखा, ‘‘100 साल पहले हुई जलियांवाला बाग की घटना ब्रिटिश-भारतीय इतिहास में एक शर्मनाक कृत्य है। जो भी हुआ और उसकी वजह से जो पीड़ा पहुंची, उसके लिए हम गहरा खेद व्यक्त करते हैं।’’ एस्क्विथ ने कहा, ‘‘मैं आज प्रसन्न हूं कि ब्रिटेन और भारत 21वीं सदी की भागीदारी को आगे बढाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।’’
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, बाद में यहां कुछ देर के लिए संवाददाताओं से बातचीत में उन्होंने कहा कि ब्रिटिश प्रधानमंत्री टेरेसा मे ने जलियांवाला बाग नरसंहार को बुधवार को ब्रिटिश-भारतीय इतिहास पर एक ‘‘शर्मनाक धब्बा’’ करार दिया था। मे ने हालांकि औपचारिक माफी नहीं मांगी। यह पूछे जाने पर कि ब्रिटिश सरकार ने माफी क्यों नहीं मांगी, एस्क्विथ ने कहा, ‘‘मैं जानता हूं कि यह वास्तव में एक महत्वपूर्ण सवाल है। मैं आपसे केवल यह कहूंगा कि मैं यहां जो करने आया, उसका सम्मान करें, यह 100 साल पहले मारे गए लोगों को याद करने तथा ब्रिटिश सरकार और ब्रिटिश लोगों की ओर से दुख व्यक्त करने के लिए है।’’
'Today we remember with deep sorrow those who were killed on 13 April 1919 and regret the suffering caused': British High Commissioner to India #DominicAsquith
Read @thetribunechd https://t.co/S2TdsCKsfX pic.twitter.com/rXMB5kAG0d
— UK in India???? (@UKinIndia) April 13, 2019
उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन मैंने पहले जो कहा, वह मैं दोहराऊंगा कि दोनों सरकारें मजबूत संबंध बनाने के लिए कटिबद्ध हैं..आज हमारे बीच असाधारण तरह के फलते-फूलते संबंध हैं।’’ एस्क्विथ ने रेखांकित किया कि पूर्व ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने पूर्व में अपनी भारत यात्रा के दौरान खेद व्यक्त किया था और जलियांवाला बाग त्रासदी को अत्यंत शर्मनाक घटना करार दिया था। उन्होंने कहा कि महारानी (एलिजाबेथ द्वितीय) ने भी घटना को भारत के साथ ब्रिटेन के बीते इतिहास का एक बेहद कष्टप्रद अध्याय बताया था। ब्रिटिश राजनयिक ने कहा कि 1908 से 1916 तक ब्रिटेन के प्रधानमंत्री रहे उनके परदादा एच एच एस्क्विथ ने जलियांवाला बाग त्रासदी को वीभत्स अत्याचारों में से एक करार दिया था।
क्या है जलियांवाला बाग नरसंहार?
अमृतसर स्थित जलियांवाला बाग में यह नरसंहार आज ही दिन यानी 13 अप्रैल 1919 को हुआ था। 13 अप्रैल 1919 को अमृतसर के जलियांवाला बाग में एक शांतिपूर्ण तरीके से स्तवंत्रता के समर्थन में सभा कर रहे हजारों भारतियों को चारों ओर से घेरकर उन पर ब्रिटिश ब्रिगेडियर जनरल रेजीनॉल्ड डायर और लेफ्टिनेंट गवर्नर माइकल ओ. डायर ने अंधाधुंध गोलिया चलवाई थीं। कहा जाता है कि इस घटना में सैकड़ों लोग मारे गए। अनेक लोगों ने गोलियों से बचने के लिए बाग स्थित कुएं में छलांग लगा दी, लेकिन कुएं में कूदने से उनकी भी मौत हो गई। बाग में 100 साल बाद भी गोलियों के निशान मौजूद हैं जो भारतीयों पर ब्रिटिश शासन के अत्याचार की कहानी बयां करते नजर आते हैं।