बॉम्बे हाईकोर्ट के एक जज ने एक नई अनोखी मिसाल कायम करते हुए नया रिकॉर्ड बनाया है। इस जज ने पुराने मामलों के निपटारे के लिए शुक्रवार (4 मई) सुबह 3 बजकर 30 मिनट तक सुनवाई करते रहे। यह संभवतः पहली बार है जब किसी जज ने ऐसा किया है। जज के इस कदम की लोग जमकर सराहना कर रहे हैं।

समाचार एजेंसी PTI के मुताबिक, गर्मियों की छुट्टियों से पहले बंबई हाई कोर्ट में शुक्रवार को आखिरी कार्यदिवस था। इस मौके पर ज्यादातर जज शाम पांच बजे तक लंबित मामलों और बेहद जरूरी मामलों को निपटाते रहे तो वहीं न्यायाधीश शाहरुख जे कथावाला अपनी अदालत में सुबह तड़के तक सुनवाई करते रहे। न्यायमूर्ति शाहरूख जे कथावाला ने खचाखच भरी अदालत में सुबह साढ़े तीन बजे तक सुनवाई की और इस दौरान जिरह सुन याचिकाओं पर आदेश पारित किए।
जस्टिस शाहरुख जे कथावाला के इतर अन्य सभी जज शाम 5 बजते ही लंबित मामलों का निपटारा करके चले गए। लेकिन न्यायमूर्ति कथावाला इसी कोशिश में लगे रहे कि 5 मई से कोर्ट में गर्मी की छुट्टियां शुरू हो रही हैं तो महत्वपूर्ण और ज्यादा से ज्यादा मामलों का निपटारा कर दिया जाए। बॉम्बे हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति शाहरुख जे कथावाला की कोर्ट अगले दिन सुबह साढ़े 3 बजे तक चली।
इस दौरान कई मामलों की सुनवाई के साथ-साथ याचिकाओं पर जरूरी निर्देश दिए गए। जज के साथ मौजूद रहे एक वरिष्ठ अधिवक्ता ने बताया, ‘कोर्ट रूम वरिष्ठ अधिवक्ताओं से खचाखच भरा हुआ था, जिनके मामलों की सुनवाई चल रही थी। इस दौरान तकरीबन 100 जन याचिकाएं थीं, जिन पर त्वरित अंतरिम राहत की मांग की गई थी।’
कहा जा रहा है यह पहला मौका था जब जस्टिस कथावाला ने शुक्रवार को इतनी देर तक मामलों की सुनवाई की। हालांकि दो हफ्ते पहले भी वह अपने चेंबर में देर रात तक मामलों को सुनते रहे थे। एक अन्य वरिष्ठ अधिवक्ता प्रवीण समदानी ने कहा, ‘न्यायमूर्ति कथावाला उस समय भी (सुबह साढ़े 3 बजे) उतने ही फुर्तीले दिख रहे थे जैसा कि सुबह कार्यालय आने पर कोई लगता है। मेरा मामला सबसे अंत में सुने जाने वाले मामलों में शामिल था। तब भी न्यायाधीश ने बेहद धैर्यपूर्वक हमारी बात सुनी और आदेश पारित किया।’
न्यायमूर्ति कथावाला आमतौर पर दूसरे न्यायाधीशों के मुकाबले करीब एक घंटा पहले सुबह 10 बजे अदालती कार्रवाई शुरू कर देते हैं और 5 बजे के बाद भी मामलों की सुनवाई करते रहते हैं। उनके स्टाफ के ही एक सदस्य ने बताया कि देर तक मामले की सुनवाई करने के बावजूद अगले दिन न्यायाधीश सुबह तय समय पर अपने कक्ष में लंबित मामलों को निपटाने के लिए पहुंच गए।