जम्मू-कश्मीर में सेना द्वारा मानव ढाल के रूप में इस्तेमाल किए गए कश्मीरी युवक फारूक अहमद डार को लेकर जम्मू-कश्मीर मानवाधिकार आयोग ने शख्त रुख अख्तियार किया है। आयोग ने शख्ती दिखाते हुए बीजेपी-पीडीपी की सरकार को निर्देश दिए हैं कि जीप में बांधे गए कश्मीरी युवक को 10 लाख रुपये मुआवजे के तौर पर दी जाए। बता दें कि पिछले दिनों 9 अप्रैल 2017 को कश्मीरी युवक फारुक अहमद डार को पत्थरबाजों पर काबू पाने के लिए सेना के एक अधिकारी मेजर नितिन गोगोई ने जीप के बोनट से बांधकर कई किलोमीटर तक घूमाया था।
डार को मानव ढाल के रूप में इस्तेमाल करने को लेकर काफी हंगामा भी हुआ था। कई राजनीतिक पार्टियों ने मेजर गोगोई के फैसले पर सवाल उठाया था। हालांकि, विवादों के बीच सरकार, बीजेपी और सेना प्रमुख बिपिन रावत ने मेजर गोगोई का खुलकर समर्थन किया था।
दरअसल, श्रीनगर में 9 अप्रैल को वोटिंग के दौरान बीड़वाह समेत कई इलाकों में वोटिंग बूथ पर हिंसा हुई थी। इसी दौरान मेजर लितुल गोगोई ने पत्थरबाजी कर रहे लोगों की भीड़ से कथित रूप से डार को पकड़कर जीप के आगे बांधकर मानव ढाल बनाया था। इसका वीडियो वायरल होने पर सेना की काफी आलोचना हुई थी।
बाद में इस मामले में सफाई देते हुए गोगोई ने कहा था कि अगर बेहद हिंसक हो चुकी भीड़ पर वे फायरिंग करवाते तो कम से कम 12 लोगों की जान चली जाती। मेजर ने मीडिया के सामने आकर पूरी घटना की जानकारी दी। उन्होंने कहा था कि उनका यह कदम स्थानीय लोगों की जान बचाने के लिए उठाया गया था।
मेजर को सेना ने किया सम्मानित
हंगामे के बीच युवक को मानव ढाल की तरह इस्तेमाल करने वाले मेजर नितिन गोगोई को सेना ने सम्मानित किया था।सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने उस अधिकारी को प्रशंसा पत्र दिया। सेना ने मेजर लीतुल गोगोई को आतंकवाद निरोधी अभियानों में सराहनीय योगदान के लिए सेना प्रमुख के प्रशस्ति पत्र से सम्मानित किया था।