भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के केरल नेतृत्व ने गुरुवार को राज्य के एकमात्र विधायक के कृषि कानूनों के खिलाफ प्रस्ताव को समर्थन दिए जाने पर हैरानी जताई है। पार्टी ने हालांकि कहा है कि वह इस इस बारे में भाजपा विधायक ओ. राजगोपाल से बात करेंगे, लेकिन सूत्रों ने कहा कि राजगोपाल के इस कदम से पार्टी हैरान है।
भाजपा के प्रदेश प्रमुख के. सुरेंद्रन ने मीडिया से कहा, “मैंने राजगोपाल की प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं देखी है, न ही मुझे पता है कि उन्होंने क्या कहा है। मैं उनसे बात करूंगा और आपको बताऊंगा।” भाजपा में कृषि कानूनों पर दो राय के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, “आप क्या कह रहे हैं? केरल के भाजपा नेताओं के बीच कृषि कानूनों पर कोई दो राय नहीं है।”
भाजपा के राज्य महासचिव एम.टी. रमेश ने मीडिया को बताया, “राजगोपाल एक वरिष्ठ नेता हैं और मैंने नहीं सोचा था कि वे इस प्रस्ताव का समर्थन करेंगे। उन्होंने पहले कृषि कानूनों के खिलाफ प्रस्ताव लाए जाने के राज्य सरकार के फैसले का विरोध किया था। उसके बाद पता नहीं क्या हुआ। मुझे पता करने दीजिए, फिर मैं आपको बताता हूं।”
हांलाकि दोनो वरिष्ठ नेताओं ने इस मुद्दे पर सधी प्रतिक्रिया दी, लेकिन पार्टी के उच्च पदस्थ सूत्रों ने आईएएनएस को बताया कि पार्टी ‘पूरी तरह से आश्चर्यचकित है।’ एक वरिष्ठ नेता ने कहा, “पार्टी सचमुच सदमे में है। हमें नहीं पता कि इस स्थिति में क्या करना है। भाजपा इस मामले में फैसला लेगी।”
राजगोपाल केंद्र की वाजपेयी सरकार में रेल, रक्षा और संसदीय मामलों के राज्य मंत्री रह चुके हैं। वह केरल विधानसभा में प्रवेश करने वाले पहले भाजपा नेता हैं। राजगोपाल ने इससे पहले वामपंथी उम्मीदवार श्रीरामकृष्णन का स्पीकर पद के लिए समर्थन करके एक विवाद खड़ा दिया था। उन्होंने तब कहा था कि उन्होंने अध्यक्ष का समर्थन किया था, क्योंकि उनके नाम में भगवान राम और भगवान श्रीकृष्ण हैं।
बता दें कि, केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने केन्द्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ गुरुवार को विधानसभा में प्रस्ताव पेश किया और केन्द्र में भाजपा नीत राजग सरकार पर निशाना सााधा। किसानों के मुद्दों पर चर्चा करने और उनके साथ एकजुटता व्यक्त करने के लिए बुलाए गए एक घंटे के विशेष सत्र में यह प्रस्ताव पेश किया गया।
गौरतलब है कि, पंजाब, हरियाणा और देश के कुछ अन्य हिस्सों से आए हजारों किसान दिल्ली के निकट सिंघू बॉर्डर, टीकरी बॉर्डर और गाजीपुर बॉर्डर पर पिछले 31 दिनों से प्रदर्शन कर रहे हैं। उनकी मांग है कि तीनों कृषि कानूनों को निरस्त किया जाए और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी दी जाए। (इंपुट: भाषा और आईएएनएस के साथ)