मोदी सरकार की किसान विरोधी नीतियों और आर्थिक फैसलों का खुलकर विरोध करने वाले भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने इस बार NDA से घटक दलों द्वारा नाता तोड़ने को लेकर अपनी ही पार्टी पर निशाना साधा है।
यशवंत सिन्हा ने एनडीटीवी ऑनलाइन पर अपने एक लेख में लिखा कि, NDA से (घटक दल) क्यों पीछा छुड़ाने लगे हैं? इसकी वजह तलाशने के लिए दूर नहीं जाना होगा। उन लोगों ने जनता का मूड भांप लिया है जो निर्णायक तौर पर बीजेपी के खिलाफ हो चुका है, बेहतर साबित होने के बजाय बीजेपी उनके लिए बोझ बन चुकी है।
साथ ही उन्होंने लिखा कि, नीतीश कुमार NDA में शामिल होने वालों में सबसे नए हैं, लेकिन उनके उम्मीदवार को जहानाबाद विधानसभा सीट के लिए हुए उपचुनाव में आरजेडी के हाथों करारी शिकस्त मिली है। NDA से पीछा छुड़ाने की प्रक्रिया समय में बदलाव की एक और निशानी है।
उन्होंने आगे लिखा कि, ‘उत्तर प्रदेश और बिहार में उपचुनावों के बाद त्रिपुरा में जीत हासिल करने पर बीजेपी के प्रति धारणा में भी बदलाव आया है। बीजेपी के रवैये से NDA के सहयोगी दल नाखुश होते जा रहे हैं, ऐसा लगता है जैसे बीजेपी के व्यवहार से सिर्फ शिवसेना ही नहीं बल्कि अन्य सहयोगी दल भी नाखुश हैं।
साथ ही उन्होंने लिखा कि, ‘शिवसेना के बाद चंद्रबाबू नायडू की पार्टी TDP भी अपने 16 सांसदों के साथ पहले कैबिनेट से अपने मंत्रियों को हटा लिया था और बाद में NDA से अलग हो गई। TDP सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव भी लाई है, पंजाब में अकाली दल बार-बार अपनी नाखुशी जाहिर कर रहा है।’ इसके अलावा उन्होंने लेख में लिखा है कि ‘राजग में शामिल होने वाले जीतन राम मांझी अब संप्रग में जा चुके हैं।
बता दें कि, यह कोई पहली बार नहीं है कि यशवंत सिन्हा ने अपनी पार्टी पर हमला बोला हो। इससे पहले भी वह बीजेपी की आलोचना करते रहें है। अभी कुछ पहले ही यशवंत सिन्हा ने जबलपुर में संवाददाताओं से कहा था कि, आज जो बीजेपी है वह अटलजी एवं आडवाणी जी की बीजेपी नहीं है। उन्होंने कहा, अटलजी एवं आडवाणी जी के काम करने का जो तरीका था, जो शैली थी, वह बिलकुल भिन्न थी।