कानून मंत्रालय ने कहा है कि उसके पास ऐसा कोई रिकॉर्ड नहीं है जिससे पता चल सके कि नागरिकों को ‘भारत माता की जय’ बोलने के लिए मजबूर करने वाले लोगों के खिलाफ क्या कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।
न्यूज़ एजेंसी भाषा की ख़बर के मुताबिक, आरटीआई कार्यकर्ता मोहम्मद इरफान कादरी ने कानून मंत्रालय में आवेदन देकर जानना चाहा था कि ‘भारत माता की जय’ बोलना क्या किसी नागरिक के लिए कानूनी बाध्यता है? और क्या एक नागरिक इसे बोलने के लिए मजबूर करने वाले लोगों के खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई कर सकता है?
मुख्य सूचना आयुक्त आरके माथुर ने बताया कि, ‘प्रतिवादी (विधि मंत्रालय) ने 19 अप्रैल 2016 के सीपीआईओ के जवाब के संदर्भ में कहा था कि उन्होंने याचिकाकर्ता को इस बारे में सूचित कर दिया है। याचिकाकर्ता को बता दिया गया है कि उन्होंने जो सूचना मांगी है, वह न तो आरटीआई अधिनियम 2005 की धारा 2(एफ) के तहत परिभाषित किसी सूचना के अधीन आती है और न ही इस अधिनियम की धारा 2 के तहत किसी रिकार्ड का हिस्सा है।’
आरटीआई अधिनियम के तहत ‘सूचना’ का अर्थ ऐसी सामग्री से है जिसे कोई लोक प्राधिकार उस समय लागू कानून के तहत प्राप्त कर सता है। माथुर ने यह कहते हुए मामले में हस्तक्षेप से इंकार कर दिया कि मंत्रालय का जवाब संतोषजनक है।