आध्यात्मिक गुरु और प्रसिद्ध संत भय्यूजी महाराज (50) ने मध्य प्रदेश के इंदौर स्थित अपने घर में मंगलवार (12 जून) कथित रूप से गोली मारकर आत्महत्या कर ली। प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता भय्यूजी महाराज के गोली मारकर खुदकुशी करने की खबर ने हजारों लोगों को स्तब्ध कर दिया है। इंदौर पुलिस के मुताबिक भय्यूजी ने खुद को सिर में गोली मारी।
इंदौर के पुलिस उपमहानिरीक्षक (डीआईजी) एच सी मिश्रा ने बताया, ‘‘संत भय्यूजी महाराज ने इंदौर बाइपास स्थित अपने घर में खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली।’’ इंदौर के बॉम्बे अस्पताल के महाप्रबंधक राहुल पाराशर ने बताया कि गोली लगने के बाद उन्हें तुरंत हमारे अस्पताल लाया गया, जहां उन्होंने दम तोड़ दिया।
इस बीच भय्यूजी महाराज का सुसाइड नोट भी सामने आया है, जिससे साफ पता चल रहा है कि भय्यूजी महाराज काफी तनाव में थे और शायद इसी वजह से उन्होंने खुदकुशी कर ली। उनके सुसाइड नोट के अनुसार वह मानसिक अवसाद और तनाव के चलते ऐसा कदम उठाया। पुलिस को घटनास्थल से उनका लिखा सुसाइड नोट भी मिल चुका है।
सुसाइड नोट में अंग्रेजी में लिखा गया है, ‘किसी को वहां परिवार की देखभाल के लिए होना चाहिए। मैं जा रहा हूं… काफी तनावग्रस्त, परेशान था।’ पुलिस महानिरीक्षक मकरंद देवस्कर ने कहा है कि सूइसाइड नोट और पिस्टल को बरामद कर लिया गया है। सभी पहलुओं से मामले की जांच की जा रही है। उन्होंने बताया कि परिवार के सदस्यों से भी पूछताछ की जाएगी।

इंदौर के जिलाधिकारी निशांत वरवड़े ने समाचार एजेंसी ‘भाषा’ को बताया कि अभी यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि भय्यूजी महाराज ने किन हालात में और किस वजह से कथित तौर पर आत्महत्या की। उन्होंने कहा कि पुलिस जांच में इस बात का खुलासा हो सकेगा। वरवड़े ने कहा कि महाराज के शव को पोस्टमार्टम के लिए शासकीय महाराज यशवंत राव चिकित्सालय में भेजा गया है।
घटना की जानकारी मिलने के बाद बड़ी तादात में उनके समर्थक अस्पताल के सामने इकट्ठे हो गये। बता दें कि भय्यूजी का बचपन का नाम उदय सिंह देशमुख था और वह मध्यप्रदेश के शुजालपुर कस्बे के रहने वाले थे। भय्यूजी के शिष्य ने बताया कि संत बनने से पहले वह मॉडलिंग भी किया करते थे। उनके कई अनुयायी हैं, जिनमें नेता एवं फिल्म स्टार शामिल हैं।
गौरतलब है कि कुछ महीने पूर्व मध्यप्रदेश सरकार ने पांच धार्मिक नेताओं को राज्यमंत्री का दर्जा दिया था जिसमें भय्यूजी महाराज भी शामिल थे। सरकार के इस कदम के बाद विवाद खड़ा हो गया था। विवाद के बाद भय्यूजी ने घोषणा की थी कि वह राज्यमंत्री दर्जे का कोई लाभ नहीं लेंगे।