अयोध्या के राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद में मध्यस्थता प्रक्रिया असफल रही है। अब सुप्रीम कोर्ट इस मामले की सुनवाई छह अगस्त से नियमित करेगा। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने शुक्रवार को कहा कि इस विवाद के निपटारे के लिए शुरू की गई मध्यस्थता प्रक्रिया असफल रही है और अब इसकी नियमित सुनवाई की जाएगी।

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अगुवाई वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश एफएमआई कलीफुल्ला की अध्यक्षता में गठित मध्यस्थता समिति की रिपोर्ट का संज्ञान लिया कि इस विवाद का सर्वमान्य समाधान खोजने के प्रयास विफल हो गए हैं। पीठ ने कहा कि इस घटनाक्रम के मद्देनजर अब इस भूमि विवाद की छह अगस्त से रोजाना सुनवाई की जाएगी।
संविधान पीठ के अन्य सदस्य मुख्य न्यायाधीश के अलावा न्यायमूर्ति एस. ए. बोबडे, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर हैं। शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश एफ एम आई कलीफुल्ला, सामाजिक कार्यकर्ता श्री श्री रविशंकर और मध्यस्थता मामले के विशेषज्ञ अधिवक्ता श्रीराम पंचू की मध्यस्थता समिति ने गुरुवार को संविधान पीठ के समक्ष सीलबंद लिफाफे में अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। संविधान पीठ ने रिपोर्ट का उल्लेख करते हुए कहा कि मध्यस्थता प्रक्रिया असफल रही है।
CJI Ranjan Gogoi says.' the mediation panel has not been able to achieve any final settlement.' https://t.co/7tjztpkJ0I
— ANI (@ANI) August 2, 2019
मध्यस्थता समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि हिन्दू और मुस्लिम पक्षकार इस पेचीदा भूमि विवाद का समाधान नहीं खोज सके। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने 18 जुलाई को तीन सदस्यीय मध्यस्थता समिति से कहा था कि मध्यस्थता कार्यवाही के परिणामों के बारे में 31 जुलाई या एक अगस्त तक अदालत को सूचित करें ताकि वह मामले में आगे बढ़ सके।