टीवी इंडस्ट्री की जानी-मानी शख्सियत और अंग्रेजी के बड़े पत्रकार अर्नब गोस्वामी कुछ समय पहले तक अपने डिबेट के दौरान पारदर्शिता की बात कर जोर-जोर से शोर मचाते थे और हर किसी को नैतिकता का पाठ पढ़ाते रहते थे। अब जब वह अपने नए चैनल के प्रचार-प्रसार के लिए अन्य मीडिया संस्थान में इंटरव्यूज देने जा रहे हैं तो लोगों को उम्मीद थी कि वे सभी सवालों को सीधा-सीधा जवाब देंगे।
क्योंकि वह खुद अपने शो के दौरान अतिथियों से कहते थे कि आप मेरे सवालों का जवाब देना पड़ेगा, क्योंकि देश जानना चाहता था। लेकिन अर्नब ने उस वक्त लोगों को निराश कर दिया जब उन्होंने एक इंटरव्यू से पहले ही कुछ सवाल पूछने से साफ इनकार कर दिया।
जी हां, गोस्वामी के इस यू-टर्न पर लोगों को विश्वास नहीं हो रहा है कि यह वही अर्नब गोस्वामी हैं जो अपने डिबेट के दौरान लोगों को पारदर्शिता का उपदेश देते रहते थे। लेकिन अब गोस्वामी ने नए मंत्र की शुरूआत करते हुए स्वयं घोषित नैतिकता वाले पत्रकार बन गए हैं।
दरअसल, टाइम्स नाऊ के पूर्व पत्रकार अर्नब ने दो दिन पहले मैनचेस वर्ल्ड मैगजीन को एक इंटरव्यू दिया था जो ट्विटर पर ट्रेंड भी कर रहा था। मैगजीन ने भी इस इंटरव्यू को प्रमुखता से पेश किया। मैगजीन ने गोस्वामी से एक-एक बात को लेकर पूरी गहराई से इंटरव्यू किया।
इंटरव्यू के दौरान गोस्वामी ने अपने नए चैनल ‘रिपब्लिक टीवी’ को लेकर भी विस्तृत जानकारी दी। हालांकि, मैगजीन ने खुलासा किया कि गोस्वामी की पीआर टीम ने इंटरव्यू से पहले ही कहा था कि वह ‘रिपब्लिक टीवी’ के मालिकाना हक और एनडीए सांसद राजीव चंद्रशेखर के बारे में कोई सवाल नहीं पूछा जाएगा।
इस मामले पर मैनस वर्ल्ड मैगजीन ने वेबसाइट ने लिखा है कि इस साक्षात्कार में उनकी(अर्नब) पीआर टीम द्वारा सवालों को सत्यापित किए गए थे। साथ ही हमें दो प्रश्नों से बचने के लिए कहा गया था। पहला सवाल यह था कि रिपब्लिक टीवी और बीजेपी सांसद राजीव चंद्रशेखर के क्या संबंध है। क्या रिपब्लिक टीवी का मालिकाना हक बीजेपी सांसद से संबंधित है।
जबकि दूसरा सवाल चंद्रशेखर और द वायर के बीच कानूनी लड़ाई को लेकर पूछने से मना किया गया था। गौरतलब है कि 13 जनवरी को हमने रिपोर्ट दी थी कि रिपब्लिक टीवी में निवेश करने वालों में राज्यसभा में बीजेपी सांसद राजीव चंद्रशेखर और इन्फोसिस के पूर्व कार्यकारी मोहनदास पाई थे।
हालांकि, चंद्रशेखर खुद को एक स्वतंत्र सांसद के रूप में पेश करते हैं, लेकिन भाजपा की अगुवाई वाले एनडीए के साथ उनका संबंध किसी से छूपा नहीं है। उन्होंने पिछले साल मई में केरल विधानसभा चुनाव में एनडीए के लिए सक्रिय रूप से अभियान चलाया था। वहीं, मोहनदास पाई भी बीजेपी और हिंदुत्व की विचारधाराओं के मुखर समर्थक रहे हैं।