रिपब्लिक टीवी के अर्नब गोस्वामी ने हाल ही में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह का इंटरव्यू लिया। इस इंटरव्यू में अमित शाह ने ऐसे ऐसे आश्चर्यजनक दावे किए जिस पर लोगों को विश्वास करना काफी मुश्किल है। सोशल मीडिया पर शाह का इंटरव्यू काफी वायरल हो रहा है, क्योंकि पश्चिम बंगाल की ममता सरकार पर बंगाली भाषा की जगह मुसलमानों को खुश करने के लिए उर्दू को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है।
इस इंटरव्यू के दौरान बीजेपी अध्यक्ष ने रिपब्लिक टीवी के मंच को पूरी तरह से राजनीतिक रूप से इस्तेमाल करते हुए सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की। इस दौरान उन्होंने आरोप लगाया कि पश्चिम बंगाल में हिंदुओं को दुर्गा पूजा और सरस्वती पूजा जैसे त्योहारों को मनाने के लिए तमाम समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
शाह ने कहा, “बंगाल में 2016 से हम काम कर रहे हैं। हर बूथ पर हमने भारतीय जनता पार्टी को पहुंचाया है। बंगाल के अंदर जिस प्रकार की तानाशाही है, इसको हमने अनुभव किया है। हमने अपने 80 कार्यकर्ताओं की जान गंवाई है, इसके खिलाफ हमने संघर्ष किया है। वहां बंगाली भाषा की जगह उर्दू भाषा थोपी जा रही है, इसका विरोध हमने देखा है। वहां सरस्वती पूजा बंद होने का विरोध हमने देखा है। दूर्गा पूजा की इजाजत नहीं मिलने का दर्द हमने पहचाना है। रामनवमी का जूलुस नहीं निकाले दिए जाने का दर्द हमने देखा है।”
In Bengal, we've lost our 80 karyakartas, Urdu language is being imposed.
People have to take permission to perform Durga & Saraswati pooja. The infiltration ruining the local demography.
Didi has taken every possible step to prevent us from organizing rallies: Shri @AmitShah pic.twitter.com/hsNYMTlk78
— BJP (@BJP4India) April 24, 2019
उन्होंने कहा कि घुसपैठ स्थानीय जनसांख्यिकी को बर्बाद कर रही है। दीदी ने हमें रैलियों के आयोजन से रोकने के लिए हर संभव कदम उठाए हैं। शाह ने कहा कि इस बार बंगाल की जनका भारतीय जनता पार्टी और मोदी जी का साथ देकर ममता दीदी को सबक सिखाएगी। शाह के दावों पर ऑल इंडिया मजलिस-ए-इस्तेहादुल मुसलमीन (AIMIM) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने ‘कुत्ते की सीटी’ का जिक्र कर तीखा हमला बोला है।
Self-explanatory, as far as dog-whistles go. https://t.co/eDSAAu09sG
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) April 24, 2019
बता दें कि बीजेपी अध्यक्ष अपने भाषणों के दौरान सांप्रदायिक रंग देने के लिए बेताब नजर आते हैं। उन्होंने पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार पर बंगाली को नजरअंदाज कर उर्दू को बढ़ावा देने का आरोप लगाते रहते हैं। शाह बंगाल में रहने वाले हिंदू और बौद्ध शरणार्थियों को अपने भविष्य के बारे में चिंता न करने का आश्वासन दे चुके हैं। शाह लोगों से वादा करते रहते हैं कि ममता दीदी का समय अब खत्म हो चुका है। बंगाल में दुर्गा पूजा के दौरान किसी को पूजा करने से कोई रोकने वाला नहीं होगा।