भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के राज्यसभा सांसद राजीव चंद्रशेखर की मदद से अंग्रेजी समाचार चैनल ‘रिपब्लिक टीवी’ की स्थापना करने वाले अर्नब गोस्वामी ने शुक्रवार को भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर बढ़ते अंकुश पर अपनी टिप्पणियों के लिए बॉलीवुड के मशहूर अभिनेता नसीरुद्दीन शाह पर हमला करते हुए शालीनता की हदें पार कर दी। रिपब्लिक टीवी के संस्थापक और एंकर अर्नब गोस्वामी ने नसीरुद्दीन शाह को ‘अनपढ़’ कहते हुए कहा कि वह अपने इस वीडियो के जरीए भारत विरोधी ताकतों की मदद कर रहे है।
अपने प्राइम टाइम शो को शुरुआत करते हुए अर्नब गोस्वामी ने कहा, भारत में सहिष्णुता के बारे में भयावह होने के एक पखवाड़ा बाद नसीरुद्दीन शाह ने शहरी नक्सलियों के लिए एक खुला समर्थन घोषित किया है। वह 2019 के लिए एमनेस्टी इंडिया के प्रचार वीडियो का चेहरा हैं।
बहस की शुरुआत शाह की टिप्पणियों पर एक वीडियो रिपोर्ट से हुई, जो पिछले साल उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर के पुलिस अधिकारी सुबोध कुमार सिंह की हत्या के बाद हुई थी। समाचार एजेंसी एएनआई को दिए इंटरव्यू में पीएम मोदी ने नसीरुद्दीन शाह की टिप्पणियों पर भी प्रतिक्रिया दी थी। रिपब्लिक टीवी ने शाह की टिप्पणियों को चिंताजनक और ध्रुवीकरण करार दिया।
शुक्रवार की रात को अपने प्राइम टाइम शो में अर्नब गोस्वामी ने पूछा, क्या नसीरुद्दीन शाह एक व्यवस्थित नरसंहार और सभी अल्पसंख्यकों, हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, ईसाइयों और यहूदियों और मुसलमानों में कई संप्रदायों को खत्म करने के बारे में एक वीडियो जारी करेंगे? क्या वह ऐसा करेगा? या उसकी नफरत केवल भारत के खिलाफ है।
जिसके बाद उनके कुछ मेहमानों ने गोस्वामी को यह याद दिलाने की मांग की कि शाह की टिप्पणियों का उद्देश्य भारत के बहुलवाद के मूल्यों पर आधारित था। लेकिन गोस्वामी ने उन्हें यह कहते हुए अनपढ़ कहा कि उन्हें अगली बार मुंह खोलने से पहले तथ्यों को पढ़ना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘अरे नसीरुद्दीन शाह यदि आप तथ्यों को नहीं जानते हैं तो अपना मुंह मत खोलिए।’
वहीं, जब एक पैनलिस्ट ने अर्नब गोस्वामी से कहा कि अनुपम खेर एक ‘बुरे अभिनेता’ हैं तो गोस्वामी ने गुस्से में अपना आपा खो दिया। दरअसल, पैनलिस्ट ने एक सवाल के जवाब में यह कहा था जिसमें गोस्वामी ने गुस्से में कहा था कि नसीरुद्दीन शाह अनुपम खेर के ‘द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर’ और ‘इंदु सरकार’ के खिलाफ विरोध पर शांत क्यों है।
बता दें कि गोस्वामी ने पिछले साल बीजेपी के राज्यसभा सांसद राजीव चंद्रशेखर की मदद से रिपब्लिक टीवी लॉन्च किया था। उन्हें अक्सर अपने चैनल के माध्यम से बीजेपी के एजेंडे को बढ़ावा देने के आरोपों का सामना करना पड़ता है।
दरअसल, एमनेस्टी इंडिया की तरफ से एक वीडियो ट्वीट किया गया है। जिसमें नसीरुद्दीन शाह अभिव्यकित की आजादी की बात कर रहे हैं। एमनेस्टी के 2 मिनट से ज्यादा के इस वीडियो में नसीरुद्दीन शाह कह रहे हैं, ‘ऐन-ए हिंद (कानून) 26 नवंबर 1949 को लागू हुआ था, शुरू में ही इसके उसूल को स्पष्ट कर दिए गए। जिसका मकसद देश के हर शहरी को सामाजिक, आर्थिक और सियासी इंसाफ देना था। जहां लोगों को सोचने, बोलने और अपनी मर्जी से किसी भी धर्म को मानने की आजादी है। हर इंसान को बराबर समझा जाए और हर इंसान के जान और माल की इज्जत की जाए।’
नसीरुद्दीन शाह आगे कहते है, ‘हमारे मुल्क में जो लोग गरीबों के घरों, जमीनों और रोजगार को तबाह होने से बचाने की कोशिश करते हैं, जिम्मेदारियों के साथ-साथ हुकूक की बात करते हैं, भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाते हैं, तो वो दरअसल हमारे उसी कानून की रखवाली कर रहे होते हैं। लेकिन अब हक के लिए आवाज उठाने वाले जेलों में बंद हैं। कलाकार, फनकार, शायर सब के कामों पर रोक लगाई जा रही है, पत्रकारों को भी खामोश किया जा रहा है। मजहब के नाम पर नफरतों की दीवारें खड़ी की जा रही है, मासूमों का कत्ल हो रहा है। पूरे मुल्क में नफरत और जुल्म का बेखौफ नाच जारी है।’
नसीरुद्दीन शाह ने आगे कहा, ‘जुल्म के खिलाफ आवाज उठाने वालों के दफ्तरों पर रेड डालकर लाइसेंस रद्द कर, बैंक अकाउंट फ्रीज कर, उन्हें खामोश किया जा रहा है। ताकि वो सच न बोलने से बाज आ जाए। क्या हमारे संविधान की यही मंजिल है? क्या हमने ऐसे ही मुल्क के ख्याब देखे थे? जहां विरोध की कोई आवाज न हो? जहां सिर्फ अमीर और ताकतवर की आवाज सुनी जाए और गरीबों और कमजोरों को हमेशा कुचला जाए, जहां कानून था उधर अब अंधेरा है।’
In 2018, India witnessed a massive crackdown on freedom of expression and human rights defenders. Let's stand up for our constitutional values this new year and tell the Indian government that its crackdown must end now. #AbkiBaarManavAdhikaar pic.twitter.com/e7YSIyLAfm
— Amnesty India (@AIIndia) January 4, 2019
गौरतलब है कि अभी कुछ दिन पहले बॉलीवुड अभिनेता नसीरुद्दीन शाह ने हाल ही में भीड़ द्वारा की गई हिंसा का परोक्ष हवाला देते हुए कहा था कि एक गाय की मौत को एक पुलिस अधिकारी की हत्या से ज्यादा तवज्जो दी जा रही है। साथ ही अभिनेता ने कहा था कि जहर पहले ही फैल चुका है और अब इसे रोक पाना मुश्किल होगा। इस जिन्न को वापस बोतल में बंद करना मुश्किल होगा। जो कानून को अपने हाथों में ले रहे हैं, उन्हें खुली छूट दे दे गई है।
नसीरुद्दीन शाह ने आगे कहा था कि मुझे डर लगता है कि किसी दिन गुस्साई भीड़ मेरे बच्चों को घेर सकती है और पूछ सकती है, तुम हिंदू हो या मुसलमान? इस पर मेरे बच्चों के पास कोई जवाब नहीं होगा। क्योंकि मैंने मेरे बच्चों को मजहबी तालीम नहीं दी है। अच्छाई और बुराई का मजहब से कोई लेना-देना नहीं है।नसीरुद्दीन शाह के इस बयान के बाद कई संगठनों ने उनका विरोध जाताया था।