भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने वाले समाजसेवी अन्ना हजारे ने एक बार फिर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर जोरदार हमला बोला है। इस बार उन्होंने लोगों से किसान विरोधी नीतियों के लिए केंद्र की एनडीए सरकार को सही सबक सिखाने की अपील की है।

समाचार एजेंसी पीटीआई के हवाले से नवभारत टाइम्स.कॉम में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार लुभावने वादों के जरिए सत्ता में आने के बाद किसानों के हित में कदम उठाने में असफल रही है। अन्ना हजारे ने कहा कि, ‘मोदी सरकार किसानों के हित में काम करने में नाकामयाब रही जबकि वह लोगों से लुभावने वाद करके ही सत्ता में आई। मोदी सरकार किसानों से ज्यादा उद्योगपतियों के लिए चिंतित है।’
रिपोर्ट के मुताबिक, वह शुक्रवार को कोटा के अन्ना चौक पर एक सार्वजनिक सभा को संबोधित कर रहे थे। वहां उनका विभिन्न सामाजिक और व्यापारिक संगठनों ने गर्मजोशी से स्वागत किया। भारत की हालत गंभीर और चिंताजनक बताते हुए अन्ना ने कहा कि लोकतंत्र में सरकारी की चाबी जनता के हाथों में होती है। और उसे सरकार को लोकतांत्रिक तरीके से ही सबक सिखानी चाहिए।
अन्ना हजारे ने कहा कि देश के किसानों को उनका उचित हक नहीं मिल रहा है। उन्होंने कहा, ‘वह अपनी फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य पाने के लिए भी संघर्ष कर रहे हैं। आज किसान सिंचाई के लिए सस्ती दर पर बिजली और पानी से भी वंचित हो गए हैं क्योंकि नहरों में पानी की आपूर्ति ही नहीं हो रही है।’ उन्होंने सरकार से कृषि आयोग गठित करके इसे संवैधानिक दर्जा देने की मांग की।
साथ ही अन्ना हजारे ने कहा कि, वह किसानों से जुड़े इन्हीं सारे मुद्दों पर 23 मार्च से दिल्ली के रामलीला मैदान में सरकार के खिलाफ आंदोलन छेड़ेंगे। उन्होंने भ्रष्टाचार की ताजा घटना पर भी प्रधानमंत्री से सवाल किया। हजारे ने कहा, ‘मोदी ने खुद कहा था कि न खाऊंगा और न खाने दूंगा, लेकिन भ्रष्टाचार के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। इससे उनके काम-काज के तरीकों पर सवाल उठ रहा है।’ उन्होंने कहा, ‘अब वक्त लोगों के जागरूक होने का है और उन्हें लोकतांत्रिक तरीके से ऐसी सरकार ही चुननी चाहिए जो आम जनता की भलाई के लिए काम कर सके।’
बता दें कि, इससे पहले 18 फरवरी को भिवानी के एक कार्यक्रम में अन्ना हजारे ने कांग्रेस एवं बीजेपी को ‘धन से सत्ता एवं सत्ता से धन’ कमाने वाली पार्टियां करार देते हुए कहा कि देश की जनता जागरूक नहीं है और देश का लोकतंत्र लगातार खतरे में है।