उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले की बांगरमऊ विधानसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के विधायक कुलदीप सिंह सेंगर पर रेप का आरोप लगने के बाद सूबे में सियासी हड़कंप मचा हुआ है। इस मामले में आरोपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर पर शिकंजा कस गया है। कुलदीप सेंगर पर दुष्कर्म सहित अन्य संगीन आरोपों व पीड़िता के पिता की हत्या की जांच सीबीआई करेगी। वहीं पुलिस ने बुधवार (11 अप्रैल) देर रात विधायक के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया। जल्द ही विधायक की गिरफ्तारी भी हो सकती है।

वहीं, इस मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने भी गुरुवार (12 अप्रैल) को सख्त रवैया अपनाते हुए साफ शब्दों से उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार से कह दिया है कि वह 1 घंटे में बताए कि रेप के आरोपी और बीजेपी विधायक कुलदीप सेंगर को गिरफ्तार करेंगे या नहीं। हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से इस बारे में लंच तक जवाब मांगा है। बता दें कि उन्नाव गैंगरेप मामले में बीजेपी विधायक और रेप के आरोपी कुलदीप सिंह सेंगर बुरी तरह फंस गए हैं।
#Unnao Rape Case: Allahabad High Court asks state govt counsel, "Why has the MLA not been arrested yet?' Seeks reply post lunch.
— ANI UP (@ANINewsUP) April 12, 2018
यह मामला अब हाई कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है। सीबीआई से लेकर एसआईटी तक इस मामले की जांच के लिए सक्रिय हो गई हैं। उन्नाव गैंगरेप मामले पर दायर की गई याचिका को सुप्रीम कोर्ट में स्वीकार किए जाने के बाद अब इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस मामले पर स्वत: संज्ञान लिया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उन्नाव गैंगरेप मामले पर स्वत: संज्ञान लेते हुए 12 अप्रैल की सुनवाई की तारीख निर्धारित की थी।
बता दें कि विधायक के खिलाफ आईपीसी की धारा 363 (अपहरण), 366 (अपहरण कर शादी के लिए दवाब डालना), 376 (बलात्कार), 506 (धमकाना) और पॉस्को एक्ट के तहत मामला दर्ज किया है। SIT की शुरुआती रिपोर्ट के बाद कुलदीप सेंगर के खिलाफ बुधवार (11 अप्रैल) को FIR का फैसला लिया गया है। इसके साथ ही मामले में लापरवाही के दोषी पाए दो डॉक्टरों व एक पुलिस क्षेत्रधिकारी को निलंबित करने का निर्णय भी लिया गया है।
प्रमुख सचिव गृह अरविंद कुमार ने भी इस मामले की जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि एडीजी लखनऊ जोन राजीव कृष्ण के पर्यवेक्षण में गठित एसआईटी, डीएम उन्नाव एनजी रवि कुमार और डीआईजी जेल लव कुमार से अलग-अलग प्राप्त रिपोर्ट का अध्ययन करने के बाद यह फैसला लिया गया। वहीं उन्नाव के सफीपुर सर्किल के सीओ शफीपुर कुंवर बहादुर सिंह को निलंबित कर दिया गया है।
पीड़िता के पिता के उपचार में लापरवाही पर सीएमएस डॉ. डीके द्विवेदी व ईएमओ डॉ. प्रशांत उपाध्याय को भी निलंबित किया गया है। डॉ. मनोज, डॉ. जीपी सचान और डॉ. गौरव अग्रवाल के खिलाफ विभागीय जांच के आदेश दिए गए हैं। राज्य सरकार ने यह फैसला एसआईटी के साथ ही डीआईजी जेल और डीएम उन्नाव की अलग-अलग जांच रिपोर्ट के आधार पर देर रात किया। इसके बाद पीड़ित परिवार की सुरक्षा बढ़ा दी गई है।