सिखों की सर्वोच्चा संस्था अकाल तख्त ने सोमवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि हिंदुत्व संगठन (RSS) जिस तरह से काम कर रहा है, उससे इतना तो साफ है कि यह देश को बांट देगा। अमृतसर में पत्रकारों से बात करते हुए, अकाल तख्त के प्रमुख ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने केंद्र में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार से संगठन पर लगाम लगाने का आग्रह किया।
एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, पत्रकारों से बात करते हुए ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने कहा कि, “हां, इसे प्रतिबंधित कर देना चाहिए। मुझे लगता है कि RSS जिस तरह से काम कर रहा है उससे वह देश में भेदभाव की एक नई लकीर खींच देगा।” जब अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह से बताया गया कि भाजपा तो खुद RSS मानती है, इसपर उन्होंने कहा कि अगर ऐसा है तो यह देश के लिए अच्छा नहीं है। यह देश को नुकसान पहुंचाएगा और उसे तबाह कर देगा।
टाइम्स नाउ की रिपोर्ट के मुताबिक, सिंह ने कहा कि अकाल तख्त को आरएसएस में 550 वें गुरु नानक को मनाने में कोई समस्या नहीं है। उन्होंने कहा, “अगर आरएसएस गुरु नानक देव जी की जयंती मनाता है तो हमें कोई समस्या नहीं है। लेकिन उन्हें सिख आचार संहिता के तहत इसे मनाना चाहिए और सिख धर्म के किसी भी नियम, व्यापार या अनुष्ठान का उल्लंघन नहीं करना चाहिए।”
बता दें कि, यह कोई पहली बार नहीं है कि जब किसी सिख संस्था ने हाल के दिनों में आरएसएस की आलोचना की है। पिछले हफ्ते, शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति के अध्यक्ष गोबिंद सिंह लोंगोवाल ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत की टिप्पणियों को भारत का हिंदू राष्ट्र कहने पर आपत्ति जताई थी।
लोंगोवाल ने एक बयान में कहा था कि भारत के बहु-जातीय और बहु-भाषी देश होने के बाद से भागवत की टिप्पणी बेहद आपत्तिजनक थी। उन्होंने अपने बयान में कहा था, ‘भारतीय संविधान देश के सभी नागरिकों को धार्मिक स्वतंत्रता देता है। लेकिन आरएसएस प्रमुख जानबूझकर संविधान की अनदेखी कर रहे हैं और देश पर हिंदू राष्ट्र के एजेंडे को थोप रहे हैं।’
गौरतलब है कि कुछ दिन पहले ही संघ संचालक मोहन भागवत ने देश में हो रही मॉब लिंचिंग की अलग-अलग घटनाओं को लेकर एक बड़ा बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि ‘भीड़ हत्या’ (लिंचिंग) पश्चिमी तरीका है और देश को बदनाम करने के लिए भारत के संदर्भ में इसका इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। विजयदशमी के मौके पर ‘शस्त्र पूजा’ के बाद स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए मोहन भागवत ने यह बात कही थी।
उन्होंने कहा था कि ‘लिंचिंग’ शब्द की उत्पत्ति भारतीय लोकाचार से नहीं हुई, ऐसे शब्द को भारतीयों पर ना थोपा जाए। इस दौरान संघ प्रमुख ने कहा कि जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधान हटाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री शाह की सराहना की जानी चाहिए।