नए कृषि कानूनों के विरोध में प्रदर्शन कर रहे किसानों के आंदोलन को हर तरफ से समर्थन मिल रहा है। इस बीच, पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिक वरिंदरपाल सिंह ने कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के मौजूदा आंदोलन के समर्थन में उर्वरक उद्योग की संस्था एफएआई का अवार्ड लेने से इनकार कर दिया।
पौधों के पोषण से जुड़े कार्य के लिए वरिंदरपाल सिंह फर्टिलाइजर एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एफएआई) के गोल्डन जुबली अवार्ड के संयुक्त विजेता घोषित किए गए थे। पुरस्कार के तहत दो लाख रुपये नकद राशि, एक स्वर्ण पदक और एक प्रशस्ति पत्र दिया जाता है। एफएआई के महानिदेशक सतीश चंद्र ने पुष्टि की है कि सोमवार को आयोजित हुए वार्षिक समारोह के दौरान सिंह ने पुरस्कार लेने से मना कर दिया।
चंद्र ने पीटीआई (भाषा) को बताया, ‘‘इस अकादमिक पुरस्कार को लेने से इनकार करना ठीक नहीं था।’’ उन्होंने कहा कि विभिन्न श्रेणियों में 34 पुरस्कार दिए गए। पुरस्कार वितरण समारोह में रसायन और उर्वरक राज्य मंत्री मनसुख लाल मांडविया भी मौजूद थे।
सिंह ने सोशल मीडिया पर आए एक वीडियो में कहा, ‘‘संकट के इस समय में जब देश के किसान सड़कों पर हैं, मेरी अंतरात्मा ने यह पुरस्कार स्वीकार करने की मुझे इजाजत नहीं दी।’’ पंजाब कृषि विश्वविद्यालय में मृदा विज्ञान विभाग में प्रधान मृदा रसायनशास्त्री सिंह ने पुरस्कार नहीं स्वीकार करने के लिए खेद भी जताया।
मंच पर जाने के बाद वीरेंद्रपाल सिंह ने रसायन और उर्वरक मंत्री डी.वी. सदानंद गौड़ा और एसोसिएशन को धन्यवाद किया। जैसे ही केंद्रीय मंत्री उन्हें अवार्ड देने वाले थे उन्होंने बड़ी ही शालीनता के साथ अवार्ड लेने से इनकार कर दिया। अवार्ड लेने से इनकार करने के बाद उन्होंने खेद जताते हुए माफी भी मांगी।
और जब आज #PunjabAgricultureUniversity में कृषि वैज्ञानिक #DrVarinderPalSingh ने किसानों के समर्थन में केंद्रीय रसायन और उर्वरक मंत्री से अपना अवॉर्ड लेने से इंकार कर दिया। सौम्यता, आत्मसम्मान और अंतरात्मा का तेज देखिए इस वैज्ञानिक के चेहरे पर। pic.twitter.com/e2lqKyqeJH
— Vinod Kapri (@vinodkapri) December 8, 2020