अमेरिकी सेना ने गुरुवार(13 अप्रैल) को आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट (आईएस) के ठिकानों को निशाना बनाते हुए अफगानिस्तान में सबसे बड़ा गैर परमाणु बम गिराया। इस बम को ‘मदर ऑफ ऑल बम’ भी कहा जाता है। इस कार्रवाई के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि यह सफल अभियान रहा और हमें सेना पर गर्व है।

अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन ने यह बताया कि यह पहला मौका है जब इस बम का इस्तेमाल किया गया। सूत्रों ने बताया कि जीबीयू-43/बी मैसिव ऑर्डिनेंस एयर ब्लास्ट बम गुरुवार को स्थानीय समयानुसार शाम साढ़े सात बजे गिराया गया। इसका वजन 21, 600 पाउंड यानी 9,797 किलो है। यह GPS से संचालित होने वाला विस्फोटक है। अमेरिका के हथियारों के जखीरे में काफी वक्त से शामिल इस बम का पहली बार इस्तेमाल किया गया है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने वॉशिंगटन में पत्रकारों से बात करते हुए सेना के इस अभियान को सफल बताया। ट्रंप ने कहा कि वास्तव में यह एक और सफल काम था। हमें हमारी सेना पर गर्व है। ट्रंप ने कहा कि उन्होंने अमेरिकी सेना को पूरी आजादी दी जिसका नतीजा ऐसे सफल अभियानों के रूप में सामने आ रहा है।
हालांकि, अमेरिका के इस कदम की आलोचना भी शुरू हो गई है। अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई ने ट्वीट करते हुए कहा है कि यह बम आतंकवाद के खिलाफ नहीं, बल्कि अफगानियों पर गिराया गया है। उन्होंने इस घटना को अमानवीय बताते हुए लिखा है कि अमेरिका अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल अपने घातक हथियारों को टेस्ट करने के लिए कर रहा है।
अफगानिस्तान में सुरक्षा के हालात अभी भी अनिश्चित हैं। अमेरिका पिछले 15 सालों से अफगानिस्तान में तालिबान और अन्य आतंकी संगठनों से युद्ध की स्थिति में है। अफगानिस्तान में कई आतंकी संगठन अपना कब्जा जमाने की कोशिश में लगे हुए हैं। इस मुल्क में फिलहाल अमेरिका के करीब 8400 सैनिक जमे हुए हैं।
हालांकि, अमेरिका के मुताबिक, यह हमला इस तरह किया गया जिससे इलाके में मौजूद अफगान और अमेरिकी बलों को नुकसान नहीं हो और आईएस के लड़ाकों को खत्म किया जा सके। इस इलाके में अफगान और अमेरिकी बलों को अपना अभियान चलाने में मुश्किलों को सामना करना पड़ता है, क्योंकि आईएस अपने बचाव के लिए आईईडी, बंकर और गुफाओं का प्रयोग करते हैं।