पूर्व केन्द्रीय मंत्री, सांसद शत्रुघ्न सिन्हा ने मोदी सरकार पर एक बार फिर बड़ा हमला बोला है। शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा कि पार्टी में हर कोई चाहता था कि राष्ट्रपति लालकृष्ण आडवाणी बनाए जाएं, इसका समर्थन पार्टी में अधिकतर लोगों ने किया था।
न्यूज चैनल NDTV से बातचीत में उन्होंने कहा, ‘मेरी पार्टी के 80 फीसदी लोग चाहते थे कि आडवाणी को राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाया जाए। मैंने इस मुद्दे पर पार्टी में बड़ी संख्या में लोगों से बात की थी।’
लालकृष्ण आडवाणी को सिन्हा ने अपना दोस्त, मार्गदर्शक, दार्शनिक बताते हुए कहा कि वही मेरे अंतिम नेता है। भाजपा आलाकमान द्वारा रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति पद के लिए नामित करने से पहले बॉलीवुड अभिनेता ने ट्विटर पर आडवाणी के समर्थन में अभियान चलाया था।
मालूम रहे कि जाने माने अभिनेता सिन्हा 2013 में आडवाणी के नेतृत्व में बने भाजपा के उस ग्रुप का हिस्सा थे जिसने तब गुजरात के सीएम नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री के रूप में ना चुनने का आग्रह किया था। लेकिन उनकी इस अपील को ठुकरा दिया गया और 2014 में मोदी के नेतृत्व में भाजपा को बड़ी जीत मिली।
पार्टी विरोध में बोलने पर उनकी विश्वसनीयता पर सवाल उठाए गए। तब आलोचकों का मुंह बंद करने के लिए उन्होंने कहा था कि भाजपा उनकी पहली, आखिरी एक मात्र पार्टी है। उन्होंने इसे तब ज्वाइन किया था जब ससंद में इसके सिर्फ दो सांसद थे।
मोदी के पीएम बनने के बाद पार्टी के भीतर एक नई परंपरा शुरू हुई मार्गदर्शक मंडल की और लालकृष्ण आडवाणी की पार्टी के भीतर सलाहकार की भूमिका को खत्म कर दिया गया। यही नहीं खुद शत्रुघ्न सिन्हा को भी पार्टी ने धीरे-धीरे किनारे लगा दिया और उन्हें पार्टी के अहम कार्यक्रमों से बाहर रखा जाने लगा।
आपको बता दे कि केन्द्र में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के बेटे की कंपनी का टर्नओवर कथित तौर पर 16 हजार गुना बढ़ने की खबर सामने आने के बाद मीडिया मीडिया पर आरोप लगा कि उसने इस मामले में दबाव में आकर मीडिया ने चुप्पी साध ली है और इस बड़ी खबर को प्रमुखता देने की बजाय पार्टी की तरफ से दिए गए जवाब को लाइव दिखाकर लोकतंत्र का मजाक बनाया है। अब इस मामले में भाजपा सांसद शत्रुघ्न सिन्हा एक बार फिर से मुखर होकर बेबाकी से बोले हैं।
NDTV से बात करते हुए उन्होंने कहा कि जब जय शाह पर इतने गंभीर आरोप लग रहे हैं तो उसे दबाने की कोशिश क्यों की जा रही है, सच को आगे ही आना चाहिए। इसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए और पारदर्शिता सबसे सामने आनी चाहिए।