पंजाब और गोवा विधानसभा चुनाव में निराशाजनक प्रदर्शन के बाद आम आदमी पार्टी(AAP) ने अब दिल्ली नगर निगम(एमसीडी) चुनाव के लिए अपनी रणनीति में बड़ा बदलाव किया है। पार्टी ने तय किया है कि अब वह सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला नहीं करेगी और सिर्फ ‘सकरात्मक प्रचार’ पर फोकस करेगी। दिल्ली में सत्ताधारी AAP के लिए एमसीडी चुनाव कड़ी परीक्षा माने जा रहे हैं।
एक AAP नेता ने बताया कि पार्टी अब वही रणनीति अपनाएगी जो उसने 2015 के विधानसभा चुनाव में अपनाई थी और जबरदस्त जीत हासिल की थी। AAP नेता ने कहा कि हम 2015 की रणनीति अपनाते हुए उसी तरह लोगों के पास जाएंगे जैसे उस वक्त अपनी 49 दिन की सरकार में हुए अच्छे कामों का बताते हुए गए थे। हमने 2015 के चुनाव में सकरात्मक प्रचार का नतीजा देखा है और हम एमसीडी चुनाव में भी इसे जारी रखेंगे।
AAP द्वारा मोदी को निशाना न बनाए जाने की एक वजह यूपी और उत्तराखंड में बीजेपी को मिली शानदार जीत भी बताई जा रही है, क्योंकि दोनों ही राज्यों से संबंध रखने वाले लोग दिल्ली में बड़ी संख्या में रहते हैं। AAP नेता ने कहा कि एमसीडी चुनाव में मोदी को सीधे टारगेट करना उलटा भी पड़ सकता है।
हाल में हुए पंजाब विधानसभा चुनाव में आप को 117 में से सिर्फ 20 सीटें मिलीं, जबकि वह सरकार बनाने का दावा कर रही थी। उधर गोवा में तो पार्टी का प्रदर्शन और खराब रहा। 2014 के चुनाव में भी आम आदमी पार्टी की रणनीति मोदी के इर्दगिर्द ही रही थी। केजरीवाल खुद मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ने वाराणसी पहुंच गए थे। पार्टी को यह रणनीति काफी भारी पड़ी। केजरीवाल तो चुनाव हारे ही, साथ ही दिल्ली में भी पार्टी एक सीट तक नहीं जीत पाई।
इसके बाद पार्टी ने 2015 के विधानसभा चुनाव में अपनी रणनीति बदली और अपनी 49 दिन की सरकार के कामों पर फोकस करते हुए जनता के बीच गई। नतीजा यह हुआ कि पार्टी ने 70 में से 67 सीटें जीत लीं। यही वजह है कि एमसीडी चुनाव में पार्टी उसी तर्ज पर आगे बढ़ रही है।
इस दौरान उपराज्यपाल के बीच खींचतान का जिक्र बहुत कम किया जा रहा है और पार्टी वह पुराना राग भी नहीं अलाप रही कि मोदी सरकार उसे काम नहीं करने दे रही। प्रचार का पूरा फोकस बिजली, पानी, मोहल्ला क्लिनिक और शैक्षणिक क्षेत्र में हुए ‘क्रांतिकारी’ बदलावों पर है।
पिछले 15 दिनों की बात की जाए तो पार्टी ने मोदी पर सीधा हमला करने से परहेज किया है। AAP ने उस वक्त भी मोदी के खिलाफ कुछ नहीं कहा जब उपराज्यपाल अनिल बैजल ने विज्ञापनों पर खर्च हुए 97 करोड़ रुपये पार्टी से रिकवर किए जाने का आदेश दिया।
जब PWD की ओर से AAP को अपना ऑफिस खाली करने को कहा गया, तब भी पार्टी ने बीजेपी पर तो हमला किया पर मोदी के खिलाफ एक शब्द नहीं कहा। अपनी रैलियों में भी केजरीवाल बीजेपी पर ही निशाना साध रहे हैं, मोदी पर नहीं। उदाहरण के लिए पिछले सप्ताह मटियाला और नांगलोई में हुई रैली में केजरीवाल ने स्वच्छ भारत अभियान का जिक्र किया और बीजेपी शासित एमसीडी पर आरोप लगाया कि वह सफाई व्यवस्था दुरुस्त रखने में नाकाम रही है।
इस दौरान केजरीवाल ने कहा कि बीजेपी को वोट मत देना। वह तो अपने प्रधानमंत्री के प्रति भी ईमानदार नहीं है। उन्होंने अपने पूर्व प्रमुख सचिव राजेंद्र कुमार के दफ्तर पर पड़े सीबीआई के छापे और PWD मंत्री सत्येंद्र जैन के केस का भी जिक्र किया, लेकिन पीएम मोदी का नाम तक नहीं लिया।
गौरतलब है कि 2015 में कुमार के दफ्तर पर छापे के बाद ही केजरीवाल ने इसका आरोप पीएम मोदी पर लगाते हुए उन्हें कायर और साइकोपैथ तक कह डाला था, जिसके लिए उनकी काफी आलोचना भी हुई थी। इसी तरह केजरीवाल के ट्वीट्स को देखें तो पता चलता है कि विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद उन्होंने सीधे मोदी के खिलाफ ट्वीट करना लगभग बंद कर दिया है।
4 मार्च से 10 मार्च के बीच केजरीवाल ने 181 ट्वीट किए थे, जिनमें से 49 में मोदी का जिक्र था, लेकिन नतीजे आने के बाद 11 मार्च से 17 मार्च के बीच केजरीवाल ने मोदी के खिलाफ एक भी ट्वीट नहीं किया, मगर बीजेपी पर उनके हमले जारी रहे। अब केजरीवाल के निशाने पर चुनाव आयोग है।