आधे हिंदुस्तान में बारिश और बाढ़ ने हाहाकार मचा रखा है। बिहार और असम में बाढ़ की वजह से मरने वालों की संख्या रविवार को बढ़कर 209 हो गई। दोनों प्रदेशों में बाढ़ के कारण 1.06 करोड़ लोग प्रभावित हुए हैं। बिहार में बाढ़ से फिलहाल कोई राहत नहीं मिली है। इसकी वजह से 85 लाख से ज्यादा लोग प्रभावित हुए हैं। हालांकि, लगातार दूसरे दिन मृतकों की संख्या 127 बनी रही।
राज्य के सबसे बुरी तरह से प्रभावित जिलों में दरभंगा शामिल है, जहां अब तक 12 लोगों की मौत हो चुकी है। इस महीने के शुरू में नेपाल के तराई क्षेत्र में मूसलाधार बारिश की वजह से बिहार में बाढ़ आई है। दरभंगा जिले में हायाघाट के पास एक रेलवे पुल के नीचे जल स्तर बढ़ कर खतरे के निशान के ऊपर चला गया। इसके बाद पूर्वी मध्य रेलवे को दरभंगा-समस्तीपुर खंड पर ट्रेनों का परिचालन रोकना पड़ा।
इस बीच बिहार बाढ़ को कवर करने गईं समाचार चैनल आज तक की एंकर चित्रा त्रिपाठी की एक तस्वीर सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रही है। चित्रा ने अपनी रिपोर्ट में दिखाया था कि बिहार में कई इलाके ऐसे हैं जहां जुगाड़ की नाव के सहारे लोगों की जिंदगी कट रही है। चित्रा की जो तस्वीर वायरल हो रही है उसमें वह केले के तने से बनी एक जुगाड़ की नाव पर बैठी मुस्कुराती दिख रही हैं और पानी मे चार पांच लोग उस जुगाड़ नाव को थामे कंधे तक पानी मे डूबे खड़े हैं। यह तस्वीर अलग-अलग शीर्षकों के साथ जमकर वायरल हो रही है।
तस्वीर वायरल होने पर कुछ सोशल मीडिया यूजर्स चित्रा की आलोचना कर रहे हैं, वहीं कुछ उनके समर्थन में खड़े हैं। सोशल मीडिया पर हुई आलोचना के बाद चित्रा त्रिपाठी ने सफाई देते हुए एक के बाद एक कई ट्वीट की हैं। उन्होंने एक ट्वीट कर लिखा, “फोटो पर #सवाल उठे हैं, #जवाब-मुझे जिस गांव के अंदर जाना था वहां तक पहुंचने का एकमात्र साधन ये है। 4 लोग मुझे ले जा रहे हैं उनका यही काम है इस पार से उस पार ले जाना, जबसे बाढ़ आई है। उन्हें इसके बदले पैसे देने की कोशिश की तो जवाब था कि आप ये सरकार को दिखाइये ताकि हमें बोट मिल जाये।”
फोटो पर #सवाल उठे हैं,#जवाब-मुझे जिस गांव के अंदर जाना था वहां तक पहुंचने का एकमात्र साधन ये है.4 लोग मुझे ले जा रहे हैं उनका यही काम है इस पार से उस पार ले जाना,जबसे बाढ़ आई है.उन्हें इसके बदले पैसे देने की कोशिश की तो जवाब था कि आप ये सरकार को दिखाइये ताकि हमें बोट मिल जाये. pic.twitter.com/WSOKOjwPo3
— Chitra Tripathi (@chitraaum) July 27, 2019
चित्रा ने अपने दूसरे ट्वीट में लिखा है, “मेरा उसपर बैठकर पीटीसी करना लोगों को बाढ़ टूरिज्म लग रहा है। ये मुझसे पूछें दूसरी तरफ जाने में मेरी एक गलती, थोड़ा सा पैर फिसलता तो सीधे पानी में। हम स्टोरी करते हैं तो उसकी बहुत कहानियां होती हैं। ये रिस्क था। मेरा ये काम है। हर हाल में मुझे गांव के अंदर जाना था, वो किया। करती रहूंगी।”
मेरा उसपर बैठकर पीटीसी करना लोगों को बाढ़ टूरिज्म लग रहा है.ये मुझसे पूछें दूसरी तरफ जाने में मेरी एक गलती,थोड़ा सा पैर फिसलता तो सीधे पानी में. हम स्टोरी करते हैं तो उसकी बहुत कहानियां होती हैं.ये रिस्क था.मेरा ये काम है. हर हाल में मुझे गांव के अंदर जाना था,वो किया.करती रहूंगी. https://t.co/JoPKePhuaw
— Chitra Tripathi (@chitraaum) July 27, 2019
आजतक की एंकर अपने सिलसिलेवार ट्वीट में आगे लिखा, “और हां, मैंने जब शुरु में इस पर बैठने से मना किया था तो इन्हीं चार लड़कों ने कहा कि नहीं दीदी आईये, हम लोग गिरने नहीं देंगे। अंदर गांव में हालत बहुत खराब है। आप दिखायेंगी तो हो सकता है सरकार कुछ मदद कर दे। फोटो पर टिप्पणी करने वालों पर ध्यान दूं या ग्राउण्ड के हालात पर? हद है..”
और हां,मैंने जब शुरु में इस पर बैठने से मना किया था तो इन्हीं चार लड़कों ने कहा कि नहीं दीदी आईये,हम लोग गिरने नहीं देंगे.अंदर गांव में हालत बहुत खराब है.आप दिखायेंगी तो हो सकता है सरकार कुछ मदद कर दे.फोटो पर टिप्पणी करने वालों पर ध्यान दूं या ग्राउण्ड के हालात पर? हद है.. https://t.co/aU5RlbbWJZ
— Chitra Tripathi (@chitraaum) July 27, 2019
देखें, लोगों की प्रतिक्रियाएं:
It might be time to realise that just like liberalism is a disease, so too “mediaism” might be a disease.
People are struggling to survive in floods but it a tourism destination for those with a mike in hand !!! pic.twitter.com/jKZa45rdg6
— Akhilesh Mishra (@amishra77) July 28, 2019
पत्रकारिता का यह दौर भी आने वाला इतिहास याद करेगा…
जब रिपोर्टर बाढ़ पीड़ितों की समस्याएं और सरकार की अनदेखी को न दिखाकर TRP के लिए 4 आदमी को पानी में उतार दे और खुद को पानी के बीच में दिखाए। pic.twitter.com/Qoh9lBFc8y
— Amit Mishra (@Amitjanhit) July 27, 2019
टीवी पत्रकारिता का जनाजा उठ रहा है, आप सब भी देख लीजिए।यह बाढ़ आपदा की रिपोर्टिंग है। pic.twitter.com/jddrrl5W6P
— Dr.ANAND RAI (@anandrai177) July 28, 2019
पत्रकारिता के नाम पर परोसे जा रहे फूहड़ मनोरंजन की फेहरिस्त में अब बस खुले में शौच और सीवर साफ करते होने वाली मृत्यु पर ऐसा "जीवंत" रिपोर्टिंग ही बाकी रहा है बस! pic.twitter.com/cPEWMSgCO6
— Rashtriya Janata Dal (@RJDforIndia) July 28, 2019
एक अच्छे शॉट के लिए ज़रूरत पड़ा तो चार आदमी को और डूबा देंगे। ये रिपोर्टिंग करने गए हैं या बाढ़पीड़ितों का उपहास उड़ाने। pic.twitter.com/NpROEi8NYL
— Prashant Kanojia (PK) (@PJkanojia) July 27, 2019
यह झिंगुर बाढ़ पीड़ितों का दुःख दर्द टीवी पर दिखाने के लिए गई थी या उन्हीं के कंधों पर चढ़कर फोटोशूट करवाने…@chitraaum वैसे यह बता तुझे कंधे पर ढोने वालों को नौकरी तो बिना आरक्षण के ही दी हो ना मतलब वो सब तेरी तरह त्रिपाठी ही है ना.. क्या ना वो ज्यादा योग्य है.#मनुवादी_मीडिया pic.twitter.com/pvsZVQLdgX
— Sarita Meghwal (@SaritaMeghwal) July 28, 2019
न्यूज़ के लिए कुछ भी कर लेते है ये लोग, वाह रे नए भारत की पत्रकारिता..
बाढ़ का जायज़ा लेने गयी पत्रकार @chitraaum जी मज़दूरों के कंधे ओर सवार होकर फोटो खिचवाती हुई..#flood #chitratripathi @aajtak pic.twitter.com/ehFxJxIywS— Subodh Haritwal । सुबोध हरितवाल (@subodhharitwal) July 28, 2019