पिछले सप्ताह लास वेगास में डेफ कन हैकिंग सम्मेलन में हैकर्सों को इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों को तोड़ने के लिए 90 सेकंड से भी कम समय लगा।
द रिजस्टर न्यूज़ वेबसाइट की ख़बर के मुताबिक, ‘सिस्टम में पहले दरारें’ सुरक्षा एक मशीन को वायरलेस रूप से हैक किए जाने से पहले 90 सेकंड के भीतर सुरक्षा का खुलासा करना शुरू हो गया था। जेक ब्रौन ने इस सम्मेलन में कहा कि, बिना सवाल के हमारे मतदान प्रणाली कमजोर और अतिसंवेदनशील हैं। आज हैकर समुदाय के योगदान के लिए धन्यवाद।
At the 1st ever Voting Village at #DEFCON, attendees tinker w/ election systems to find vulnerabilities. I'm told they found some new flaws pic.twitter.com/VpYPXANUMT
— Bradley Barth (@BBB1216BBB) July 28, 2017
Greetings from the Defcon voting village where it took 1:40 for Carsten Schurmann to get remote access to this WinVote machine. pic.twitter.com/1Xk3baWdxv
— Robert McMillan (@bobmcmillan) July 28, 2017
The "security" of these WINvote machines is so bad. Running WinXP, autorun enabled and hard-coded WEP wifi password. pic.twitter.com/AlOiAPcRra
— Victor Gevers (@0xDUDE) July 28, 2017
“डरावनी बात यह है कि हम यह भी जानते हैं कि रूस, उत्तर कोरिया, ईरान सहित हमारे विदेशी शत्रुओं के पास उन प्रक्रियाओं में भी हैक जो लोकतंत्र के सिद्धांतों को कम करते हैं और हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा की धमकी देते हैं।” 2000 में राष्ट्रपति चुनाव में गिनती हुई आपदा के बाद अमेरिका ने ईवीएम को अपनाने के विकल्प की खोज में भारी निवेश किया था।
महाराष्ट्र में चुनाव आयोग के दावों के विपरीत इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) से छेड़छाड़ की बात साबित हुई है। सूचना के अधिकार(आरटीआई) के तहत मिली जानकारी से शनिवार(22 जुलाई) को यह अहम खुलासा हुआ था। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने बताया कि महाराष्ट्र के बुलढाना जिले में हाल ही में हुए परिषदीय चुनाव के दौरान लोणार के सुल्तानपुर गांव में मतदान के दौरान ईवीएम से छेड़छाड़ की बात सामने आई।
आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने बताया कि मतदाता जब भी एक प्रत्याशी को आवंटित चुनाव चिह्न नारियल का बटन दबाते तो भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के चुनाव चिह्न कमल के सामने वाला एलईडी बल्ब जल उठता। निर्वाचन अधिकारी ने इसकी जानकारी जिलाधिकारी को दी, जिसका खुलासा आरटीआई से मिली जानकारी में हुआ।
मशीनों की संदिग्ध विश्वसनीयता पर भारत में उग्र बहस के चलते ईवीएम की हैैनेटिजिंग का नवीनतम विकास महत्व देता है। ईवीएम का उपयोग भारत के सभी चुनावों के लिए किया जा रहा है और इस साल फरवरी-मार्च में पांच राज्यों, उत्तर प्रदेश, पंजाब, गोवा, उत्तराखंड और मणिपुर में विधानसभा चुनाव आयोजित किए जाने के बाद मशीनें भारी स्कैनर में आईं।
मार्च महीने में हुए उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा द्वारा 325 सीटें जीतने के बाद कई राजनीतिक दलों ने ईवीएम की विश्वसनियता पर सवाल उठाते हुए ईवीएम हैक होने का आरोप लगाए थे।