मोदी सरकार ने 431 पाकिस्तानी नागरिकों को दिया लॉन्ग टर्म वीजा, बनवा सकेंगे आधार और पैन कार्ड

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भारत सरकार ने 431 पाकिस्तानी नागरिकों को दीर्घावधिक वीजा दिया है जिससे वे पैन और आधार कार्ड प्राप्त कर सकेंगे और उन्हें संपत्ति खरीदने की भी अनुमति होगी। इन नागरिकों में अधिकतर हिन्दू हैं। गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी।

(Reuters file)

भारत और पाकिस्तान के बीच तनावपूर्ण संबंधों के बीच यह कदम पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में ऐसे अल्पसंख्यकों की मदद की नरेंद्र मोदी सरकार की नीति के अनुरूप है जो अपने मूल देश में कथित तौर पर उत्पीड़न का सामना करने के बाद भारत आए हैं।

न्यूज एजेंसी भाषा के मुताबिक अधिकारी ने बताया कि गृह मंत्रालय ने पिछले महीने 431 पाकिस्तानी नागरिकों को दीर्घावधिक वीजा प्रदान की है। वे लोग उस देश के अल्पसंख्यक समुदायों से हैं। केंद्र की नई नीति के तहत पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदायों के ऐसे लोगों को जो दीर्घावधिक वीजा पर भारत में रह रहे हैं, उन्हें एक परिवार की जरूरतों को पूरा करने के लिए और स्व-रोजगार करने के लिए रिहायशी इकाई खरीदने की अनुमति है।

इन अल्पसंख्यक समुदायों में हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई प्रमुख हैं। उन्हें छावनी इलाकों सहित प्रतिबंधित या सुरक्षित क्षेत्रों के आसपास अचल संपत्ति खरीदने की अनुमति नहीं है। ऐसे समुदाय पैन कार्ड, आधार संख्या, ड्राइविंग लाइसेंस प्राप्त कर सकते हैं, स्वरोजगार कर सकते हैं। इसके अलावा वे जहां रह रहे हैं, वहां मुक्त होकर घूम सकते हैं। साथ ही वे दीर्घावधिक वीजा दस्तावेज का स्थानांतरण एक राज्य से दूसरे राज्य में कर सकते हैं।

दीर्घावधिक वीजा के साथ ये 431 पाकिस्तानी नागरिक भारतीय रिजर्व बैंक से पूर्वानुमति के बिना ही बैंकों में खाते खुलवा सकते हैं। गृह मंत्रालय ने अहमदिया समुदाय के 1800 पाकिस्तानी नागरिकों को भी सुरक्षा मंजूरी प्रदान की है ताकि वे 29 से 31 दिसंबर के बीच पंजाब के गुरदासपुर जिले के कादियान में आयोजित 123वां जलसा सालाना में भाग ले सकें। जलसा सालाना अहमदिया समुदाय का सालाना कार्यक्रम है।

पिछले साल कार्यक्रम में शामिल होने के लिए किसी भी पाकिस्तानी नागरिक को वीजा नहीं दिया गया था, जबकि 2015 में पांच हजार पाकिस्तानी नागरिक कार्यक्रम में शामिल हुए थे। दो जनवरी 2016 को पठानकोट स्थित वायुसेना अड्डे में आतंकी हमले के बाद दोनों देशों के संबंधों में खटास आ गई थी।

उरी में सेना के स्टेशन पर आतंकवादी हमला, पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में भारतीय सेना का सर्जिकल हमला, पाकिस्तानी बलों द्वारा अक्सर संघर्षविराम के उल्लंघन जैसे मुद्दों के कारण दोनों देशों के संबंधों पर और भी प्रभाव पड़ा।

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