केंद्र सरकार के विवादित नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहें किसानों के विरोध प्रदर्शन के बीच पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का एक पुराना भाषण सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं, जिसमें वह किसानों की दुर्दशा का जिक्र करते हुए तत्कालीन सरकार को चेता रहे हैं कि वह किसान आंदोलन का दमन न करे। वीडियो में वाजपेयी एमएसपी को लेकर तत्कालीन सरकार पर तीखे हमले करते दिख रहे हैं। वह आरोप लगा रहे हैं कि सरकार दाम तो तय कर देती है लेकिन खरीदने का इंतजाम नहीं करती।
सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में अटल बिहारी वाजपेयी कहते दिख रहे हैं, “हम राजनीति को कुछ मूल्यों पर आधारित करना चाहते है। राजनीति केवल कुर्सी का खेल नहीं रहना चाहिए, लेकिन कुछ वर्षों से कपास की खेती करने वाले किसान परेशान हैं मगर कपड़े की कीमत तीन गुना बढ़ी है। जूट का दाम तो सरकार ने ऐसा तय किया है, जो जूट के पैदावार की लागत से भी कम है। ये सरकार दाम तय करती है मगर खरीदने का इंतजाम नहीं करती। छोटे किसान को जल्दी बेचना पड़ता है, वह घर में रख नहीं सकता। औने-पौने मूल्य पर बेचता है, शोषण का शिकार होता है। इसलिए किसान बिगड़ रहे हैं।”
वाजपेयी आगे कहते हैं, “केवल महाराष्ट्र में नहीं कर्नाटक में, आंध्र प्रदेश में, मध्य प्रदेश में, गुजरात में किसान न्याय पाने के लिए लड़ रहे हैं। मैं सरकार को चेतावनी देना चाहता हूं कि दमन के तरीके छोड़ दीजिए। डराने की कोशिश मत करिए, किसान डरने वाला नहीं है। हम किसानों के आंदोलन का दलीय राजनीति के लिए इस्तेमाल नहीं करना चाहते लेकिन हम किसानों की उचित मांग का समर्थन करते हैं और अगर सरकार दमन करेगी, कानून का दुरुपयोग करेगी, शांतिपूर्ण आंदोलन को दबाने की कोशिश करेगी तो किसानों के संघर्ष में हम कूदने से संकोच नहीं करेंगे, उनके साथ कंधा से कंधा मिलाकर चलेंगे। भारतीय जनता पार्टी (भाजाप) मुठभेड़ की राजनीति नहीं चाहती।”
1980 was a time when the BJP seriously tried to address the criticism that it was a Bania Party, and in the process of remaking, it called itself the party with a difference. Four decades later, BJP find itself in a very difficult relationship with the farmers. pic.twitter.com/GXn0MHbweS
— Vinod K. Jose (@vinodjose) February 7, 2021
बता दें कि, तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन के बीच सरकार विपक्षी दलों पर किसानों को भड़काने, बरगलाने का आरोप लगा रही है। यहां तक कि किसान आंदोलन के समर्थन और विरोध में सोशल मीडिया पर हैशटैग वॉर छिड़ी हुई है। पक्ष-विपक्ष में एक से बढ़कर एक दलीलें दी जा रही हैं।