भारत को जल्द ही पहली बुलेट ट्रेन का तोहफा मिलने वाला है। लेकिन मुंबई-अहमदाबाद के बीच चलाई जाने वाली बुलेट ट्रेन घाटे का सौदा साबित हो सकती है। यह हम नहीं कह रहे हैं बल्कि बीते तीन महीने के दौरान मुंबई-अहमदाबाद रूट पर चलने वाली ट्रेनों में सफर करने वाले यात्रियों के आंकड़ों पर गौर करें तो यह आशंका जाहिर की जा रही है कि जा रही है क्या बुलेट ट्रेन सिर्फ ‘सफेद हाथी’ साबित होगा?

जी हां, मुंबई से अहमदाबाद रूट पर चलने वाली ट्रेनें करोड़ों रुपये के घाटे में चल रही हैं। एक आरटीआइ के जवाब में पश्चिम रेलवे ने माना है कि इस रूट पर चलने वाली ट्रेनों की 40 प्रतिशत सीटें खाली रह रही हैं और इससे पश्चिम रेलवे को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। यानि कुल मिलाकर इस रूट पर कोई नया प्रयोग घाटे का सौदा साबित हो सकता है।
न्यूज एजेंसी IANS की रिपोर्ट के मुताबिक, मुंबई के कार्यकर्ता अनिल गलगली को मिले सूचना का अधिकार (आरटीआई) के जवाब में पश्चिम रेलवे ने बताया है कि इस क्षेत्र में पिछले तीन महीनों में 30 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है, यानी हर महीने 10 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।
भारतीय रेलवे ने यह भी स्वीकार किया कि इस क्षेत्र में उसकी कोई नई ट्रेन चलाने की योजना नहीं है, क्योंकि यह पहले ही घाटे में है। गलगली द्वारा पूछे गए सवाल कि दोनों शहरों के बीच की ट्रेनों की कितनी सीटें भरी होती हैं? पश्चिम रेलवे ने बताया कि पिछले तीन महीनों में मुंबई-अहमदाबाद क्षेत्र की सभी ट्रेनों में 40 फीसदी सीटें खाली रही हैं, जबकि मुंबई-अहमदाबाद के बीच चलने वाली ट्रेनों की 44 फीसदी सीटें खाली रही हैं।
गलगली ने कहा कि यह जवाब बुलेट ट्रेन परियोजना पर गंभीर सवाल खड़े करता है, चाहे जब भी इसका निर्माण किया जाए। उन्होंने कहा कि भारत सरकार अति उत्साह में बुलेट ट्रेन परियोजना पर एक लाख करोड़ रुपये से अधिक खर्च करने जा रही है, लेकिन उसने अपना होमवर्क ठीक से नहीं किया है।
पश्चिम रेलवे के मुख्य वाणिज्यिक प्रबंधक मनजीत सिंह ने आरटीआई के जवाब में मुंबई-अहमदाबाद-मुंबई मार्ग की सभी प्रमुख ट्रेनों की सीटों की जानकारी दी। इसमें दुरंतो, शताब्दी एक्सप्रेस, लोकशक्ति एक्सप्रेस, गुजरात मेल, भावनगर एक्सप्रेस, सुरक्षा एक्सप्रेस, विवेक-भुज एक्सप्रेस और अन्य ट्रेनें शामिल हैं। सिंह ने 1 जुलाई 2017 से 30 सितंबर 2017 तक की जानकारी दी है।
उन्होंने बताया है कि बीते तीन महीने में मुंबई से अहमदाबाद के बीच दुरंतो सहित 30 मेल-एक्सप्रेस ट्रेनों से 4,41,795 यात्रियों ने सफर किए, जबकि ट्रेनों में कुल 7,35,630 सीटें थी। इससे यात्री किराए के रूप में 44,29,08,220 रुपये का राजस्व आना था, लेकिन 30,16,24,623 रुपये ही प्राप्त हुआ।
इस क्षेत्र की सबसे लोकप्रिय ट्रेन 12009 शताब्दी एक्सप्रेस की मुंबई-अहमदाबाद मार्ग की क्षमता 72,696 सीटों की है, जिसमें से जुलाई-सिंतबर के दौरान केवल 36,117 सीटें ही भरी गईं, जबकि इसी ट्रेन की अहमदाबाद-मुंबई मार्ग पर कुल 67,392 सीटों में से केवल 22,982 सीटों की ही बुकिंग हुई।
कम यात्री संख्या से रेलवे को 14,12,83,597 रुपये का घाटा हुआ है। वहीं, अहमदाबाद से मुंबई के बीच 31 मेल-एक्सप्रेस की ट्रेनों में 3,98,002 यात्रियों ने सफर किया, जबकि सीटों की संख्या 7,06,446 थी। सीट रिक्त रहने से 42,53,56,982 रुपये की जगह सिर्फ 26,74,56,982 रुपये मिले। इससे रेलवे को 15,78,54,489 रुपये का घाटा सहना पड़ा है।
आरटीआई कार्यकर्ता ने ध्यान दिलाया कि वर्तमान परिदृश्य को देखते हुए, जहां लोग विमान से अधिक सफर कर रहे हैं, दोनों शहरों के बीच सड़क मार्ग से सफर करना आसान हो गया है। उन्होंने कहा कि केंद्र और गुजरात सरकार को बुलेट ट्रेन जैसे महंगे विकल्प की समीक्षा करनी चाहिए, ताकि यह भारतीय करदाताओं के लिए सफेद हाथी साबित नहीं हो।