इराक में 2014 में अगवा किए गए 39 भारतीयों के परिवारों ने सरकार पर उन्हें तीन साल तक अंधेरे में रखने का आरोप लगाते हुए बुधवार(26 जुलाई) को कहा कि केंद्र के पास उनके लापता परिजन के बारे में कोई ठोस सूचना नहीं थी। परिजनों ने कहा कि संसद में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के बयान को सुनने के बाद इराक के मोसुल शहर में लापता हुए लोगों के बारे में कोई सुराग मिलने की उनकी उम्मीदें लगभग टूट गयीं।
एक लापता व्यक्ति के रिश्तेदर श्रवण ने कहा कि सरकार ने पिछले तीन साल से हमें अंधेरे में रखा। बुधवार को विदेश मंत्री का बयान सुनने के बाद हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि सरकार के पास इराक में लापता हुए लोगों के बारे में कोई ठोस सूचना नहीं हैं। वे हमारे परिवार के सदस्यों का पता लगाने में पूरी तरह नाकाम रहे।
उन्होंने कहा कि बुधवार को संसद में मंत्री कह रही हैं कि उनके पास यह तय करने के लिए ठोस सबूत नहीं हैं कि मोसुल में अगवा किए गए 39 भारतीयों को मार दिया गया। इससे हमारे लोगों का पता लगाने में सरकार की नाकामी का पता चलता है। अमृतसर में रहने वाले श्रवण का 30 साल का भाई निशान युद्धग्रस्त देश में लापता हुए लोगों में शामिल है।
एक दूसरे व्यक्ति देवेंद्र ने कहा कि सरकार अब तक हमें गुमराह करती रही। सरकार इराक में लापता हुए हमारे लोगों के बारे में हमें कोई भी सबूत मुहैया कराने में नाकाम रही। उन्होंने कहा कि पहले उन्होंने हमारे लोगों के चर्च में होने की बात कहकर हमें उम्मीद की किरण दिखायी। इसके बाद 16 जुलाई को हमें बताया गया कि वे जेल में हो सकते हैं। और फिर मीडिया ने खुलासा किया कि जेल में हफ्तों से कोई नहीं है।
देवेंद्र ने कहा कि अगर सुषमा कहती है कि वह बिना किसी सबूत के लापता भारतीयों को मृत घोषित करने का पाप नहीं करेंगी तो सरकार को उनके जीवित होने का सबूत देना चाहिए। देवेंद्र का भाई गोविंद्र लापता है। देवेंद्र ने मांग की कि सरकार लापता लोगों के परिवारों को घर चलाने के लिए विाीय मदद दे।
सुषमा बोलीं- तलाश जारी रखेगी केंद्र सरकार
वहीं, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने गुरुवार(27 जुलाई) को राज्यसभा में कहा कि केंद्र सरकार इराक के मोसुल शहर में लापता हुए 39 भारतीयों की तलाश जारी रखेगी और भविष्य में ठोस सबूत मिलने के बाद ही उनके परिजनों को ताजा स्थिति की जानकारी दी जाएगी।
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने उच्च सदन में दिए अपने बयान में कहा, ‘सरकार इन भारतीय की तलाश जारी रखेगी।’ इस मामले को लेकर देश को गुमराह करने के विपक्ष के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए विदेश मंत्री ने कहा, ‘मैंने कभी नहीं कहा कि वे जिंदा हैं और न ही मैंने कभी यह कहा कि वे मारे गए हैं। इराक के विदेश मंत्री पिछले दिनों भारत आए थे और उन्होंने यह भरोसा दिया है कि अब वह जो भी जानकारी देंगे, सबूत के साथ ही देंगे।’
उन्होंने कहा, ‘बिना सबूत इन लोगों को मृत घोषित करना पाप है और निहायत गैर जिम्मेदाराना है। मैं न तो इस पाप की भागी बनूंगी, और न ही गैर जिम्मेदाराना काम करूंगी।’ सुषमा स्वराज ने कहा, ‘24 नवंबर 2014 को इसी सदन में चर्चा हुई थी और मैंने कहा था कि इन भारतीयों के जीवित होने या न होने के बारे में हमारे पास कोई ठोस सबूत नहीं है। हरजीत नामक व्यक्ति ने यह दावा किया है कि वह इन भारतीयों के साथ था और उसके सामने ही इन भारतीयों को गोली मारी गई है। अगर एक भी व्यक्ति हरजीत के इस दावे की पुष्टि कर दे तो हम मान लेंगे कि वह सही कह रहा है।’
उन्होंने कहा कि 15 जून 2014 को जेएनबी में एक बैठक के दौरान मुझे सूचना दी गई कि हरजीत नामक एक लड़का फोन पर मुझसे बात करना चाहता है और वह कह रहा है कि वह उन 40 भारतीयों में से एक है जिन्हें मोसुल में आईएसआईएस ने बंधक बना लिया था।‘ मैंने सूचना देने वाले से कहा कि जिस नंबर से फोन आया है उस पर कॉल बैक किया जाए।
फोन करने पर पता चला कि फोन किसी दूसरे व्यक्ति का था। उससे पूछने पर उसने कहा कि हरजीत उसके पास ही बैठा है। मैंने उससे बात की। पूरी बात पंजाबी में हुई और उसने बताया कि वह लोग मोसुल में एक कंपनी में काम करते थे। वहां बांग्लादेशी भी थे। आईएसआईएस ने उन्हें बंधक बनाया और फिर अपने साथ ले गए।