2002 गुजरात दंगे: मुआवजे से संबंधित ब्रिटिश नागरिक के मामले से कोर्ट ने हटाया पीएम मोदी का नाम

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गुजरात के साबरकांठा जिले की एक अदालत ने शनिवार को 2002 के गोधरा दंगों (2002 Gujarat Riot) के दौरान अपने तीन रिश्तेदारों की हत्या के मुआवजे को लेकर दाखिल एक मुकदमे से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम हटा दिया है। एक ब्रिटिश परिवार ने दंगों में मारे गए अपने तीन रिश्तेदारों के लिए मुआवजे के तौर पर 23 करोड़ की राशि का मुकदमा किया हुआ है।

गुजरात

साबरकांठा जिले की अदालत ने पीएम मोदी का नाम शामिल करने के लिए उचित वजह नहीं होने का तर्क देते हुए उनका नाम हटा दिया। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, प्रिंसपल सिविल जज एस. के गढ़वी ने कहा कि, ‘अभियोग को पढ़ते हुए यह लगा कि अभियुक्त 1 (मोदी) के खिलाफ बेवजह के आरोप लगाए गए हैं। इससे घटना पर सवालिया निशान लगता है।’ जज ने कहा, ‘मेरे ख्याल से अभियुक्त 1 के खिलाफ बिना सबूत के ऐसे निराधार आरोप से ऐक्शन लिए जाने की कोई वजह नहीं बन पाएगी।’

पीएम मोदी का नाम हटाए जाने के लिए कोर्ट में ऐप्लिकेशन दी गई थी, जिसके अनुसार ऐसी घटना के लिए स्टेट को जवाबदेह ठहराया जा सकता है, मोदी को व्यक्तिगत तौर पर जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है। बता दें कि जिस समय यह दंगे हुए थे, मोदी उस समय राज्य के सीएम थे।

बता दें कि, ब्रिटिश नागरिक इमरान और शिरिन दाउद ने 2004 में नरेंद्र मोदी और 13 अन्य के खिलाफ मुकदमा दायर किया था। उन्होंने अपने रिश्तेदारों सईद दाउद, शकील दाउद, मोहम्मद असवत की मौत के लिए मुआवजा मांगा है। जयपुर से नवसरी लौटते वक्त 28 फरवरी 2002 को इन तीनों पर प्रांतीज के पास हमला किया और उनकी हत्या कर दी गई।

यह दलील दी गई कि पीएम मोदी का नाम बिना किसी वजह के जोड़ा गया। यह भी कहा गया कि मोदी के खिलाफ राजनीतिक आरोप लगे थे लेकिन नानावटी आयोग ने उन्हें क्लीन चिट दे दी है।

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