इस समय देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) खुद सवालों के घेरे में आ गई है। सीबीआई के दो सीनियर अधिकारी एक दूसरे के ऊपर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए हैं। सीबीआई में आतंरिक कलह के मद्देनजर मोदी सरकार ने अभूतपूर्व कदम उठाते हुए सीबीआई निदेशक आलोक कुमार वर्मा और विशेष निदेशक राकेश अस्थाना को छुट्टी पर भेज दिया है। वहीं, संयुक्त निदेशक एम नागेश्वर राव को तत्काल प्रभाव से अंतरिम निदेशक नियुक्त कर दिया है।
सीबीआई के अंदरखाने की यह लड़ाई अब सुप्रीम कोर्ट के दर पर पहुंच चुकी है। वहीं, सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा को पद से हटाए जाने को लेकर विपक्षी दलों ने सरकार पर तीखा हमला बोला है। कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि फैसला “राफेल फोबिया” के कारण लिया गया, क्योंकि वह (आलोक वर्मा) राफेल विमान सौदे से जुड़े कागजात एकत्र कर रहे थे। कांग्रेस ने सीबीआई के निदेशक को छुट्टी पर भेजे जाने को एजेंसी की स्वतंत्रता खत्म करने की अंतिम कवायद बताया है।
रविशंकर के शरण में पहुंची CBI
इस बीच आंतरिक कलह से जूझ रही सीबीआई अब आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन (एओएल) के संस्थापक श्रीश्री रविशंकर के शरण में पहुंच गई है। दरअसल, रविशंकर की संस्था आर्ट ऑफ लिविंग एक वर्कशॉप का आयोजन कर रही है। शनिवार यानी 10 नवंबर से शुरू हो रही तीन दिवसीय वर्कशॉप में सीबीआई के करीब 150 से ज्यादा अधिकारी हिस्सा लेंगे। मीडिया रिपोर्ट की मानें तो सीबीआई में सकारात्मकता को बढ़ाने के लिए आर्ट ऑफ लिविंग द्वारा विशेष तौर पर इस वर्कशॉप का आयोजन किया जा रहा है।
दरअसल, पिछले दिनों से देश की सबसे बड़ी एजेंसी में जारी विवाद का असर CBI के अन्य अधिकारियों पर भी पड़ा है। रिपोर्ट की मानें तो इसलिए एजेंसी ने अपने 150 अधिकारियों को आर्ट ऑफ लिविंग भेजने का फैसला किया है। कल यानी शनिवार से 3 दिनों तक चलने वाले इस वर्कशॉप में अधिकारियों को भेजने का फैसला इसलिए किया गया है ताकी उनके अंदर सकारात्मकता को बढ़ावा दिया जा सके। समाचार एजेंसी ANI के मुताबिक यह कार्यक्रम 10, 11 और 12 तीन दिन तक चलेगा।
More than 150 CBI officials will attend Art of Living (Sri Sri Ravi Shankar) workshop for enhancing positivity in CBI. Workshop will start from tomorrow for three days. pic.twitter.com/mugAtVy21c
— ANI (@ANI) November 9, 2018
सीबीआई का क्या है पूरा मामला?
दरअसल, आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना के बीच पिछले कुछ दिनाें से आरोप-प्रत्यारोंपों का सिलसिला चल रहा था। वर्मा और अस्थाना के तल्ख रिश्तों की शुरुआत पिछले साल अक्टूबर में तब हुई जब सीबीआई डायरेक्टर ने अस्थाना को स्पेशल डायरेक्टर प्रमोट किए जाने पर आपत्ति जताई। अस्थाना ने बाद में वर्मा के खिलाफ मीट कारोबारी मोइन कुरैशी के सहयोगी सतीश बाबू सना से 2 करोड़ रुपये लेने का आरोप लगाया।
उधर, इस विवाद में उस समय नया मोड आया जब 15 अक्टूबर को सीबीआई ने अपने ही विशेष निदेशक अस्थाना, उप अधीक्षक देवेंद्र कुमार तथा कुछ अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर ली। अस्थाना पर मांस कारोबारी मोइन कुरैशी के मामले के सिलसिले में तीन करोड़ रुपये रिश्वत लेने का आरोप है। कथित रिश्वत देने वाले सतीश सना के बयान पर यह केस दर्ज किया गया था। FIR में अस्थाना पर उसी सतीश बाबू सना से 3 करोड़ रुपये रिश्वत लेने का आरोप लगाया गया, जिसका आरोप वह वर्मा पर लगा रहे थे।
इसके 4 दिनों बाद अस्थाना ने भी केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) को खत लिखकर सीबीआई डायरेक्टर वर्मा पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए। सना रिश्वतखोरी के एक अलग मामले में जांच का सामना कर रहा है, जिसमें मांस कारोबारी मोइन कुरैशी की कथित संलिप्तता है। सीबीआई के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि इसके दो सबसे बड़े अधिकारी कलह में उलझे हैं।