इस साल 2018 के पहले 6 महीनों में हाशिये पर रहने वाले समूहों के लोगों के खिलाफ 100 तथाकथित हेट क्राइम किये गए। यह खुलासा एमनेस्टी इंटरनेशनल ने अपने इंटरैक्टिव “हाल्ट दि हेट” वेबसाइट पर दर्ज की गयी डेटा को जारी करने के बाद हुआ है। ‘हेट क्राइम’ शब्द उन अपराधों के लिए इस्तेमाल किया जाता है, जिसमें किसी विशेष समूह की वास्तविक या अनुमानित सदस्यता के आधार पर लोगों पे हमला किया जाता है।
इन्साफ सुनिश्चित करने और इन हेट क्राइम्स पर दंड-मुक्ति को रोकने की लड़ाई में पहला कदम उनकी आलोचना करना है। इस वेबसाइट का उद्देश्य ऐसे हेट क्राइम्स की घटनाओं पर नज़र रखना और उनका आलेख करना है ताकि उनकी ओर ध्यान केन्द्रित हो। इनमें से कई घटनाएं दिल दहला देने वाली हैं: एक दलित पर घोड़ा चलने के लिए हमला किया जाना, एक मुसलमान पर गौ-हत्या की अफ़वाह के बलबूते पर हत्या कर देना और दलित महिला का बलात्कार करने के बाद उसे जला कर मार देना।”
इस मौके पर एनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया के कार्यकारी निदेशक आकार पटेल ने कहा कि ‘हेट क्राइम्स’ बाकी अपराधों से अलग होते हैं क्योंकि इनमें अंतर्निहित भेदभाव-पूर्ण उद्देश्य होता है। भारत का कानून (कुछ अप-वादों के साथ) हेट क्राइम को विशेष अपराध के रूप में नहीं पहचानता है। इस वजह से भारत में हेट क्राइम की संख्या अज्ञात है। पुलिस को जांच-पड़ताल के वक़्त किसी अपराध में संभावित रूप से भेदभावकारी कारण को पहचानना और पंजीकृत करना चाहिए।
‘हाल्ट दि हेट’ वेबसाइट पर मुख्यधारा के अंग्रेजी और हिंदी मीडिया में दलित, आदि-वासियों, नस्लीय या धार्मिक अल्पसंख्यक समूहों के सदस्यों, ट्रांसजेंडर व्यक्ति, तथा अन्य रिपोर्ट किए गए तथाकथित हेट क्राइम का अभिलेखन किया गया है। 2018 के पहले 6 महीने में दलितों के विरुद्ध 67 तथा मुसलमानों के विरुद्ध 22 तथाकथित हेट क्राइम को डॉक्युमेन्ट किया गया है। 42 घटनाएँ ऐसी हैं जिनमें लोग मारे गए थे और 10 ऐसी घटनाएं हैं , जिसमें पीड़ितों ने यौनिक हिंसा का सामना किया।
इस वेबसाइट पर सितम्बर 2015 से तथाकथित हेट क्राइम का अभिलेखन किया गया है, जब दादरी, उत्तर प्रदेश में तथाकथित रूप से गौ हत्या करने के अफ़वाह पर, मोहम्मद अखलाक को मारा गया था। उस दिन से आज तक 603 ऐसी घटनाओं को रिकॉर्ड किया गया है। 2016 और 2017 में उत्तर प्रदेश सबसे अधिक ऐसी घटनाओं वाला राज्य था। इस बार भी उत्तर प्रदेश में ही सबसे ज़्यादा तथाकथित घटनाएं सामने आयी हैं। गुजरात, राजस्थान, तमिलनाडु, और बिहार में भी भारी संख्या से घटनाएं सामने आई हैं।
इस वेबसाइट पर डेटा इंडिया में तथाकथित हेट क्राइम का केवल एक छोटा चित्र है। ऐसी कई हेट क्राइम्स घटित होती हैं जो मीडिया में रिपोर्ट नहीं होती। हालांकि कुछ मामलों में आपराधिक जांच शुरू की जा चुकी है, बहुत से मामलों में किसी को दंड नहीं मिला है। पीड़ितों एवं उनके परिवारों के लिए न्याय सुनिश्चित करने के लिए बहुत कुछ करने की जरूरत है।”
“पीड़ितों और उनके परिवारों को आवश्यक कानूनी, चिकित्सा और मनोवैज्ञानिक समर्थन प्रदान किया जाना चाहिए। उन्हें पर्याप्त रूप से मुआवजा और पुनर्वास किया जाना चाहिए, और ख़तरों, उत्पीड़न, धमकी और हमलों के खिलाफ संरक्षित किया जाना चाहिए।” अमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया के कार्यकारी निदेशक आकार पटेल ने कहा कि हाल्ट दि हेट वेबसाइट को सृष्टि इंस्टीट्यूट ऑफ आर्ट, डिजाइन एंड टेक्नोलॉजी, बेंगलुरु द्वारा डिजाइन किया गया था।