जम्मू कश्मीर सरकार अपने एक चौंकाने वाले फैसले में मध्य कश्मीर के बडगाम क्षेत्र में “अभिनव गुप्त यात्रा” को मंजूरी देने से साफ मना कर दिया है।
महबूबा मुफ़्ती के इस फैसले का सरकार के घटक दल भारतीय जनता पार्टी ने कड़ा विरोध किया है।
भाजपा ने कहा है महबूबा मुफ़्ती का ये फैसले अलगाववादी दलों के दबाव में लिया गया है।
जनसत्ता कि एक रिपोर्ट के अनुसार जम्मू-कश्मीर सरकार का मानना है कि इस यात्रा की कोई ऐतिहासिक पृष्ठभूमि नहीं है और इसके पीछे आरएसएस का हाथ है।
इस मुद्दे पर विधानसभा में बीजेपी MLAs ने जमकर हंगामा किया। सरकार के प्रवक्ता और राज्य शिक्षा मंत्री नईम अख्तर ने कहा कि सरकार को आयोजकों की तरफ से कोई औपचारिक जानकारी नहीं मिली थी।
उन्होंने कहा, ” सरकार से स्पष्ट कर दिया है कि हम ऐसी किसी यात्रा को मंजूरी नहीं देंगे जिसकी कोई ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि नहीं है।”
आचार्य अभिनव गुप्त शेषाद्री समारोह समिति के अनुसार मध्य कश्मीर में अभिनव गुप्त नाम की गुफा है, यात्रा वहां तक के लिए निकाली जाएगी। इस यात्रा से जोड़ने के लिए आयोजक कई विस्थापित पंडितों से मिले थे।
हालांकि ये यात्रा पहली बार निकाली जा रही थी लेकिन कहा ये जा रहा था कि इसे हर साल निकालने की भी योजना थी।
मध्य कश्मीर की एक धार्मिक संस्था ने यात्रा की सच्चाई पर प्रश्न करते हुए हाई कोर्ट में एक याचिका भी दायर की है।
हुर्रियत चैयरमैन सईद अली गिलानी ने इस मुद्दे पर कहा, “कश्मीरी लोग हमेशा सैलानियों और धार्मिक यात्रा करने वालों का स्वागत करते हैं। लेकिन यह कथित यात्रा संघ के दिमाग की उपज है जिसका मकसद समुदायों में झगड़ा फैलाना है।”
बीजेपी विधायक रमेश अरोड़ा ने यात्रा पर प्रतिबंध लगाने को धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप बताया और कहा कि यात्रा का धर्मिक महत्व है और धार्मिक किताबों में इसका जिक्र है। बीजेपी का आरोप है कि सरकार ने अलगावादियों के दवाब में आकर इस यात्रा पर प्रतिबंध लगाया है।”