आॅड-इवन फार्मूला, पहला दिन: सुनिए, क्या बोले दिल्ली के लोग

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दिल्ली सरकार की आॅड-इवन फार्मूला को लेकर कि गई पहल का आज पहला दिन था जो बेहद कामयाबी और सुकून से भरा था। ये साल का भी पहला दिना था; लोगों में जोश सुबह से देखते ही बनता था। लोग आज अपने आॅफिस कुछ इस तरह से जा रहे थे मानो आज पहली बार आफिस ज्वाइन कर रहे हो। ये अनोखा उल्लास सबके चेहरों से साफ जाहिर था।

बात करे अगर आॅड-इवन पहल की तो सुबह से ही सड़कों पर गाडि़यां और दिनों के मुकाबलें कम नज़र आई क्योकि पिछले दिनों से लगातार जिस प्रकार लोगों को इस बारें में बताया जा रहा था वो बात लोगों तक पहुंची और सफल भी दिखाई दी। कम गाडि़यां इस बात का प्रमाण दी।

सुबह साढ़े आठ बजे जो खजूरी चौक यातायात की भरमार से ठसाठस भरा हुआ दिखाई देता था वो आज कुछ खाली-खाली नजर आया, कोई हैरानी नहीं हुई हमने आॅटो किया वो भी फौरन मिला।

खजूरी चैक से शास्त्री पार्क होते हुए कश्मीरी गेट मेट्रों का सफर हमने लगभग 12 मिनट में  तय किया जो रोज हम 30 से 35 मिनट में तय करते थे। आॅटो में बैठी हुई सभी सवारियों के चेहरे की खुशी इस बात से जाहिर थी कि आज कुछ नया हो रहा है । हमें लग रहा था कि आज शायद 15 अगस्त या 26 जनवरी की छुट्टी है इसलिये गाडि़या बंद है। लेकिन आॅड-ईवन पहल की मेहरबानी से सुकून से हम मेट्रो तक पहुंचे। रास्तें में आॅटो चालक ने बताया कि इससे हमारा ही फायदा है उसने कहा कि उसके दादा जी 106 साल तक जिन्दा रहे थे और पिताजी 89 साल तक। लेकिन जिस तरह से हम धुंआ खा रहे है तो मैं शायद 60 भी पार कर पाउं, यकिन नहीं होता। लेकिन सरकार की ऐसी योजनाओं से हम सब का फायदा है और जब ये प्लान टू व्हीलर और बाकी गाडि़यों पर भी लगेगा तो दिल्ली तो जापान लगेगी।

ऐसे ही और भी मिले-जुले रिएक्शन लोगोें के देखने को मिले। इसके अलावा एक खास बात जो और देखने में आई वो थी सरकारी अमला बेहद चाकचैबंद था। शास्त्री पार्क चैराहे पर सुबह सुबह ही एसडीएम साहब खुद व्यवस्था सम्भालतें हुए दिखें। ये बेहद सराहनीय कदम है कि पिछले दिनों से जिस प्रकार से बस्सी साहब इस कवायद के प्रति गम्भीर दिखें और जिस प्रकार से आज शहर की व्यवस्था उन्होनें कट्रोल की हुई है वो अपने आप में लाजवाब है।

इसके अलावा जब हम मेट्रो में सवार हुए तो लगता था कि बहुत भीड़ मिलने वाली है लेकिन ऐसा नजारा देखने को नहीं मिला मेट्रो रोजमर्रा की तरह ही दिखाई दी और डब्बे डेली रूटिन की तरह भरे हुए मिलें। लेकिन आज सड़कों पर प्राईवेट टेक्सियां और दिन के मुकाबले ज्यादा थी और जैसे हम देखते थे, ना कि अकेला बंदा ही अपनी कार को लिये उड़ा जा रहा है वो नजारा आज नमुदार था।

अभी हमारे पास चैदह दिन बचे हुए है। इस पहल से ना सिर्फ ट्रैफिक कट्रोल मिलेगा बल्कि बढ़ते हुए प्रदूषण में भी कमी दिखाई देगी।

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