बंगलुरु में गोरैया की कमी के साथ-साथ अब कौओं की संख्या में भी गिरावट हो गई है।
पक्षी वैज्ञानिकों और पक्षियों को देखभाल करने वालों के मुताबिक कौओं की संख्या में लगभग 60 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है।
पक्षियों का देखभाल करने वाले मंजुनाथ प्रभाकर ने डेक्कन हेराल्ड से कहा, “ पैलेस रोड स्थित गायत्री विहार के पेड़ों को जला दिया गया, इसके कारण कौओं के घोसलों में कमी आई है। उन्होंने कहा कि हमने कई सारे मृत कौओं को रोड पर देखा है और उजड़े हुए घोसलों को भी।”
वहीं, पर्यावरण की देख-रेख करने वाले एक एनजीओ उल्लास कुमार ने कहा कि कौओं की कमी होने का एक कारण जहरीले कीड़े-मकोड़े पर निर्भर होना है, जिसके खाने से मौत हो जाती है।
रिपोर्ट के मुताबिक, पर्यावरणीय वैज्ञानिकों के अनुसार शहरीकरण होने के कारण कौओं के लिए घोसला बनाने के लिए जगह ही नहीं मिल रहे। अतः स्वाभाविक है कि इनकी संख्या में कमी आएगी।
वहीं कौओं की कमी होने का एक और कारण यह भी है कि शहरीकरण में कौंओं की तुलना में नीला मोर रहने में काबिल है।