दिल्ली सरकार ने तय किया है की अब से सरकारी स्कूल के प्रिंसिपलको ज्यादा अधिकार दिए जाएंगे। त्यागराज स्टेडियम में सोमवार को शिक्षा निदेशालय द्वारा आयोजित राज्य शिक्षक पुरस्कार-वितरण समारोह में दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने बताया कि सरकार पूरी तरह से स्कूलों में मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराने की कोशिश में है, लेकिन प्रशासनिक प्रणाली में पेंच होने की वजह से कार्य में देरी हो रही है।
उन्होंने कहा, “जब भी मैं किसी स्कूल में जाकर पूछता हूँ कि डेस्क क्यों नहीं हैं या ट्यूबलाइट्स क्यों टूटी है या टायलेट की इतनी खराब हालत क्यों हैं या पंखे क्यों नहीं लगे हैं तो वहां के प्रिंसिपल्स का बस एक ही जवाब होता है कि फाइल डिपार्टमेंट को भेज दी गई है। और जब डिपार्टमेंट से जाकर पूछा जाए तो उनका कहना होता है की फ़ाइल फाइनेंस को भेज दी गयी है इसी तरह के छोटे छोटे कामो को लेकर भी बीएस फाइलें एक डिपार्टमेंट से दूसरे डिपार्टमेंट और एक टेबल से दूसरी टेबल पर घूमती रहती है जिसका नुक्सान हमारे बच्चो को भुगतना पढ़ता है।”
दिल्ली सरकार ने ये फैसला किया है की अब प्रिंसिपल को ही अधिक से अधिक अधिकार दिए जाएंगे जिससे उनको एडमिनिस्ट्रेटिव अप्रूवल की ज़रूरत नहीं पड़ेगी। सरकार स्कूल प्रिंसिपल, स्कूल कमेटीज, टीचर्स को पूरी स्वायतता देने के विचार में है, ताकि स्कूल की देखभाल अच्छे ढंग से हो सके।
शिक्षा मंत्री ने बताया कि वह हर सप्ताह 8-10 प्रिंसिपल्स के साथ स्कूल से सम्बंधित विषयो पर चर्चा करते हैं चर्चा के दौरान एक प्रिंसिपल ने बताया की सरकार की तरफ से करीब 5000 रुपयों का एक फण्ड आता है जिसमें क्या-क्या कार्य करने है इसकी सूची होती है लेकिन इसके बावजूद उन्हें डिप्टी डायरेक्टर से अनुमति लेनी पड़ती है।
शिक्षा मंत्री का मानना है की सरकार द्वारा जो फण्ड आता है उसे प्रिंसिपल सूची के हिसाब से खर्च कर सकते है, उन्होंने यह भी खा कि उन्हें अपने प्रिंसिपल्स पर पूरा भरोसा है और कार्य करने की पूरी स्वतंत्रता भी और यदि उनमें से कोई गलत तरीका अपनाएगा या किसी भी तरह की कोई गलती करेगा तो उस पर सख्त कार्यवाही होगी।
उप-मुख्यमंत्री ने दिल्ली सरकार दवरा सम्मानित किए गए सभी 75 शिक्षकों को बधाई देते हुए कहा कि वह शिक्षको को केवल सम्मानित ही नहीं कर रहे हैं बल्कि इस अलग कर इस लम्हे को उनके लिए यादगार बनाना चाहते हैं। और साथ ही साथ लोगों को यह बता देना चाहते हैं की किस स्कूल के किस शिक्षक को सम्मानित किया जा रहा है।
दूसरी तरफ मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सभी शिक्षकों को बधाई देता हुए कहा कि सरकारें शिक्षा पर अपने बजट का बहुत कम हिस्सा खर्च करती रही हैं। यह तक कहा जाता था कि अगर कुल बजट का 6-7 फीसदी शिक्षा पर खर्च कर दिया जाए तो शिक्षा क्रांति भी आ सकती है। पर हम तो दिल्ली के कुल बजट का 25 फीसदी शिक्षा पर खर्च कर रहे हैं लेकिन सिर्फ बजट बढ़ाने से कुछ नहीं होगा। असली शिक्षा क्रांति तो केवल आप लोग यानी शिक्षक ही ला सकते हैं।
उन्होंने ये भी बताया कि वह दिल्ली में शिक्षा के स्टार को इतना ऊपर ले जाना चाहते हैं की जब बच्चों से पुछा जाए की वह बड़े होकर क्या बनना चाहते हैं तब 80 फीसदी बच्चें कहें की वह सिकहक बनना चाहते हैं।