शीतल सिंह
आज अनुपम खेर और मधुर भंडारकर की अगवाई में देश की राजधानी में टॉलरेंस मार्च का आयोजन किया गया. कहा गया कि देश में असहिष्णुता की बात करने वाले बुद्दिजीविओं का वर्ग भरम फैला रहा है कि देश में सहिष्णुता नहीं रही
आईये अब टॉलरेंस मार्च आयोजित करने वाले इन दो महानुभवों की बात करें
अनुपम खेर और मधुर भंडारकर दोनों पर अलग अलग बलात्कार और छेड़छाड़ करने के मामले रिपोर्ट हुए। खेर ने समय रहते ले देकर मामला सलटाया और भंडारकर को काफ़ी वक़्त लगा । आज के मार्च में इनके बग़ल खड़ी थीं स्त्री अधिकारों की संस्था “मानुषी” की मधु किश्वर और अवधी की लोक गीत गायिका मालिनी अवस्थी “टालरेन्स” के सर्टिफ़िकेट लिये हुए कि जैसे वे इनका बग़ल में खड़े होना टालरेट कर रही हैं आप भी ट्राई करें ?
कुछ हज़ार लोग जो इकट्ठा हैं। ये कौन हैं? ज़्यादातर फ़ेसबुक ट्विटर ट्रोल्स हैं पेड/अनपेड। ये चौबीसों घंटे हर उस व्यक्ति को अश्लीलतम गालियाँ सोशल मीडिया पर देते रहते हैं जो सरकार /मोदी/बीजेपी/हिन्दुत्व पर अपना अलग विचार प्रकट करने का दुस्साहस करता है। बहुत सारे लोग तो इनके हमलों से आहत होकर चुप हो गये , कुछ वैसे ही चुप हैं , अब ये बचे हुओं को चुप कराने के लिये धमकाने सशरीर आये हैं ।
इसमें एक मंचीय कवि भी नज़र आये जो वीर रस की कवितायें पढ़ते हैं । याद कीजिये छठवाँ सातवीं में पढ़ते वक़्त हल्दीघाटी और चेतक कैसे रोआं खड़ा करता था और धीरे धीरे ज्ञान के विस्तार के साथ पीछे छूट गया जब एटम बम का ज़िक्र सुना ? पता चला कि दुनिया की सारी घुड़सवार सेनाओं के लिये एक बम झेलना नामुमकिन है! पर बहुत सारे लोग अभी भी चेतक पर सवार होकर हल्दीघाटी में ही रुके पड़े हैं , वे भी वहाँ हैं ।
कुछ वे पत्रकार हैं जो क़लम से पूरे जीवन में एक इंच न बढ़े पर धतकरम से और बढ़ती उमर की वजह से “वरिष्ठ पत्रकार” हो चुके हैं और पद या मद की लालसा में वहाँ हैं । बाकी सब संघ है जो वामपंथ और नेहरू से लड़ रहा है!
और कुछ देर पहले फेसबुक पर जो मैंने देखा उसने मुझे स्तब्ध कर दिया. आप भी देखें.
ये “टालरेन्ट “मार्च की एक भागीदार द्वारा की गई रिपोर्टिंग है । स्वयं टालरेन्स का लेवल फील कर लें ! आपके पास स्वयं अपना विवेक है । मैं तो यह पढ़कर स्तब्ध हूँ !
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