लालू प्रसाद यादव
देश के प्रधानमंत्री ने आज आरा में अंहकारवश जिस तरह की निम्नस्तरीय शारीरिक भाषा का प्रयोग कर बिहारियों का अपमान किया है वो घोर निंदनीय है। विगत वर्ष लालकिला की प्राचीर से स्वंय घोषित “प्रधानसेवक” आज एक अपने आप को बहुत बड़ा “दातार” समझ चुटिकियों में हज़ारों करोड़ रूपए ऐसे बढ़ा रहे थे जैसे की बिहार के गौरव की बोली लगा रहे है. उनका यह अहंकार सभी बिहारियों को अपमानित कर रहा था, मानों वो दुनिया को दिखाना चाह रहे हो की एक अहंकारी शहंशाह एवं दंभी सुल्तान अपनी व्यक्तिगत आय से वाजिब हक़ मांगने वाली जनता को अपनी मर्जी अनुसार उनके कटोरे में बख्शीश दे रहा है।
केंद्र सरकार बहुत ही चालाकी से केंद्रीय परियोजनाओं के बजट को बिहार पैकेज में शामिल कर रही है, भारतीय रेलवे और राष्ट्रीय राजमार्ग की कोई परियोजना जो बिहार से होकर गुजरती है उसका खर्चा भी बिहार के पैकेज में डाल दिया है। मान लो दिल्ली से कोलकाता को जाने वाली रेलवे लाइन या राष्ट्रीय राजमार्ग जो बिहार से होकर गुजरती है उसपर 50000 करोड़ खर्च होगा तो वो भी बहुत ही शातिराना तरीके से इस विशेष पैकेज में सम्मलित कर लिया है । बिहार की शिक्षित जनता इसे बखूबी समझती है।
खुद को प्रधानसेवक एवं चौकीदार कहने वाला अचानक आज इतना बड़ा सुल्तान एवं दाता बन गया कि वो प्रधानमंत्री पद की गरिमा और मर्यादा ही भूल गया। एक सरकारी कार्यक्रम के मंच से अपनी पार्टी का प्रचार करना एवं विपक्षी दल के मुख्यमंत्री को बेइज़्ज़त करना क्या ये एक प्रधानमंत्री को शोभा देता है?जिन मुद्दों की मार्केटिंग करके मोदी ने लोकसभा चुनावों के दौरान जनता को बेचा। अब उन मुद्दों पर जनता उनसे सवाल-जवाब ना कर सके इसलिए मोदी आये दिन बिहार में आकर गाली गलौच करके चले जाते है।
बिहारवासियों को अब पूर्णत सावधान हो जाना चाहिये कि क्योंकि बहुरुपियों एवं सियारों ने अपना चेहरा रंग लिया है. बिहार की न्यायप्रिय जनता को भलीभांति याद है कि लोकसभा चुनावों में कैसे-कैसे अवास्तविक और भ्रामक विज्ञापन दिखाकर लोगों को ठगा गया, झूठे और अनर्गल प्रचार की सभी सीमाएं तोड़कर लोगों को बनावटी बातों में उलझाया गया। खुद को चाय वाला-चाय वाला बताकर, गरीब और मध्यम वर्गीय हिन्दुस्तानियों को बरगलाया गया ।
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